सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राजोआना की दया याचिका पर 2 महीने में फैसला लेने को कहा (लीड-1)

नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए दो महीने का समय दिया, जिसे 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राजोआना की दया याचिका पर 2 महीने में फैसला लेने को कहा (लीड-1)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राजोआना की दया याचिका पर 2 महीने में फैसला लेने को कहा (लीड-1) नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए दो महीने का समय दिया, जिसे 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि केंद्र द्वारा निर्णय जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए, अधिमानत: आज से दो महीने के भीतर।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि दया याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह किसी अन्य संगठन द्वारा दायर की गई है न कि दोषी द्वारा।

गृह मंत्रालय ने यह भी तर्क दिया है कि दया याचिका पर तब तक फैसला नहीं किया जा सकता जब तक कि शीर्ष अदालत के समक्ष मामले में अन्य दोषियों द्वारा दायर अपील का निपटारा नहीं किया जाता है। साथ ही, राजोआना ने अपनी दोषसिद्धि या सजा को न तो उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

हालांकि, पीठ ने केंद्र के वकील से कहा कि यह तथ्य कि किसी अन्य संगठन ने दया याचिका दायर की है, मामले पर विचार करने में बाधा नहीं है। सितंबर 2019 में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के विशेष अवसर पर राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में बदलने का फैसला लिया गया था।

इसमें आगे कहा गया है कि दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

नटराज इस बात से सहमत नहीं थे कि 2019 में राजोआना की मौत की सजा को कम करने का अंतिम निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि मौत की सजा को कम करने के प्रस्ताव को अनुच्छेद 72 के तहत संसाधित किया जाना है।

न्यायमूर्ति ललित ने कहा, वे सभी इस देश के नागरिक हैं .. करुणा से निपटने की जरूरत है ..।

पीठ ने कहा कि केंद्र के पत्र ने राज्य को अन्य दोषियों को छूट देने का निर्देश दिया था। जैसा कि नटराज ने उत्तर दिया कि अनुच्छेद 161 के तहत राज्यों की अपनी स्वतंत्र शक्ति है।

--आईएएनएस

एसजीके

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