सुप्रीम कोर्ट ने मप्र चुनाव आयोग को 2 सप्ताह के अंदर पंचायत चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया

भोपाल, 10 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों को स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण के लिए 2021 में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट का पालन करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र चुनाव आयोग को 2 सप्ताह के अंदर पंचायत चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र चुनाव आयोग को 2 सप्ताह के अंदर पंचायत चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया भोपाल, 10 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों को स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण के लिए 2021 में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट का पालन करने का निर्देश दिया।

मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले शीर्ष अदालत के फैसले का समर्थन किया।

ट्रिपल टेस्ट में पैनल की नियुक्ति, स्थानीय निकाय-वार सीमा और पिछड़ेपन की मात्रा निर्धारित करने वाले प्रयोगसिद्ध डेटा एकत्र करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक न हो।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग को दो सप्ताह के भीतर पंचायत चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने जवाब में कहा कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव के साथ-साथ ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करेगी।

चौहान ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों को जवाब देते हुए कहा, हमने अभी तक फैसले का विस्तार से अध्ययन नहीं किया है, लेकिन हम इस उम्मीद में समीक्षा याचिका दायर करेंगे कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मध्य प्रदेश में 23,000 खाली पंचायत सीटों के संबंध में एक याचिका के जवाब में आया है। राज्य के ट्रिपल टेस्ट को पूरा नहीं कर पाने के कारण सीटें खाली रहीं हैं।

इससे पहले दिसंबर 2021 में, शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों को सामान्य सीटों के रूप में फिर से अधिसूचित करने और फिर चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप लगाए, हालांकि, दोनों दल राज्य में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराने के लिए एकमत सहमति पर पहुंचे थे।

दिसंबर 2021 में राज्य विधानसभा द्वारा इस संबंध में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया था।

जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस ए. एस. ओका, और जस्टिस सी. टी. रविकुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश में रिक्त 321 नगरीय निकायों और लगभग 23,260 पंचायत सीटों पर गंभीर आपत्ति जताई।

पीठ ने कहा कि इस तरह का आचरण कानून के शासन के टूटने की सीमा है।

अदालत ने चुनाव प्रहरी को दो सप्ताह के भीतर चुनावों की सूचना देने का निर्देश दिया।

इसने स्पष्ट किया कि न तो परिसीमन और न ही ट्रिपल टेस्ट अनुपालन रिक्त सीटों को भरने में देरी कर सकता है।

अदालत ने कहा कि संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार हर पांच साल के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा सीटों का प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि मार्च 2021 के फैसले में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला देश भर में सभी स्थानीय निकायों के चुनावों पर लागू होगा और सभी राज्यों और राज्य चुनाव आयोगों पर बाध्यकारी होगा।

विपक्षी कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ओबीसी के प्रति भाजपा नीत राज्य सरकार की घोर लापरवाही से आशंकित है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण समाप्त करने की बात की है। उन्होंने राज्य सरकार पर ओबीसी को उनके उचित अधिकारों से वंचित करने का आरोप भी लगाया।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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