अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने पर तुला है अमेरिका

बीजिंग, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। इस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन संकट में है। वह कोविड-19 महामारी से निपटने में विफल रहा है, राजनीतिक ध्रुवीकरण उसकी जबरदस्त टीकाकरण नीति के कारण अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, जिसे कई अमेरिकी अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। इसके अलावा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कथित रिकवरी ज्यादातर सतही है, और तो और तालिबान के हाथों देश का नियंत्रण खोने के बाद अमेरिका अपमानजनक तरीके से अफगानिस्तान से चला गया है। यह सब महज आठ महीने में हुआ है।
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने पर तुला है अमेरिका
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने पर तुला है अमेरिका बीजिंग, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। इस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन संकट में है। वह कोविड-19 महामारी से निपटने में विफल रहा है, राजनीतिक ध्रुवीकरण उसकी जबरदस्त टीकाकरण नीति के कारण अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, जिसे कई अमेरिकी अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। इसके अलावा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कथित रिकवरी ज्यादातर सतही है, और तो और तालिबान के हाथों देश का नियंत्रण खोने के बाद अमेरिका अपमानजनक तरीके से अफगानिस्तान से चला गया है। यह सब महज आठ महीने में हुआ है।

हालांकि, चीन के खिलाफ ताइवान का समर्थन करना निश्चित रूप से बाइडेन की अब तक की सबसे बड़ी गलती है और यदि वह जल्द ही इस नीति को उलट नहीं देते हैं तो यह उनके राष्ट्रपति पद को नुकसान पहुंचाएगा। रिपोर्ट है कि उनका प्रशासन ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि कार्यालय का नाम बदलकर ताइवान प्रतिनिधि कार्यालय करने पर विचार कर रहा है।

यह सरासर चीन की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है, जो कि अमेरिकी सरकार ताइवान द्वीप को चीन से एक अलग राजनीतिक इकाई के रूप में मान्यता प्रदान करने का प्रयास कर रही है। अमेरिका को समझना होगा कि यह ऐतिहासिक रूप से चीन की मुख्यभूमि का एक अविभाज्य हिस्सा रहा है।

वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी संसद में कहा कि उनका देश चीन के खिलाफ ताइवान का समर्थन करने के लिए जो कुछ भी करेगा, वह युद्ध भड़काने का कार्य से कम नहीं होगा। जब यह विचार किया जाता है कि वह द्वीप को देश के

रूप में वर्णित करके गलत तरीके से बोलता है, तो यह भंगुरता और भी अधिक आक्रामक हो जाता है। यह आकस्मिक नहीं हो सकता है, हालांकि यह बहुत संभव है कि अमेरिका के शीर्ष राजनयिक का इरादा चीन को शत्रुतापूर्ण संदेश भेजने का है।

अब, विश्व की मीडिया चीन-अमेरिका संबंधों में नवीनतम अप्रत्याशित गिरावट के बारे में अधिक बात कर रही है, जो कि किसी भी अन्य संकट की तुलना में वाशिंगटन द्वारा उत्पन्न किया गया है, जिसके लिए बाइडेन प्रशासन जिम्मेदार है। यह राजनीतिक व्याकुलता बेहद खतरनाक है। हालांकि, चीन अपनी क्षेत्रीय अखंडता के लिए सभी खतरों को बहुत गंभीर मामलों के रूप में मानता है।

इतिहास में अमेरिका के लिए अपने अंदर झांकने और अपने बढ़ते सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक अंतर्विरोधों को हल करने के लिए अधिक जरूरी समय कभी नहीं रहा है, जो जल्द से जल्द संबोधित नहीं किए जाने पर नियंत्रण से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है।

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अमेरिका की अपमानजनक हार हुई है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस पूर्व महाशक्ति को तालिबान बड़ी आसानी से धूल चटा देगा, लेकिन इसके बजाय, अब यह एक ऐसे देश के साथ लड़ाई चुन रहा है जो उस विद्रोही समूह की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

--आईएएनएस

एएनएम

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