49 वर्षों के बाद, बार से सीधे सीजेआई के पद तक पहुंचने को तैयार न्यायमूर्ति ललित

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना ने गुरुवार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति यू. यू. ललित के नाम की सिफारिश की।
49 वर्षों के बाद, बार से सीधे सीजेआई के पद तक पहुंचने को तैयार न्यायमूर्ति ललित
49 वर्षों के बाद, बार से सीधे सीजेआई के पद तक पहुंचने को तैयार न्यायमूर्ति ललित नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना ने गुरुवार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति यू. यू. ललित के नाम की सिफारिश की।

अगर इस सिफारिश पर न्यायमूर्ति ललित को अगला सीजेआई नियुक्त किया जाता है, तो वह 49 वर्षो बाद सीधे सुप्रीम कोर्ट बेंच में पदोन्नत होकर सीजेआई बनने वाले दूसरे न्यायाधीश होंगे।

जब केंद्र सरकार इस सिफारिश को स्वीकार कर लेगी तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस ललित भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। 13 अगस्त 2014 को, उन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया था। न्यायमूर्ति ललित का सीजेआई के रूप में तीन महीने से भी कम का कार्यकाल होगा, क्योंकि वह आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।

यदि जस्टिस ललित की नियुक्ति हो जाती है, तो वह ऐसे दूसरे सीजेआई बन जाएंगे, जिन्हें जस्टिस एस. एम. सीकरी के बाद बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट बेंच में पदोन्नत किया गया था, जो जनवरी 1971 से अप्रैल 1973 तक 13वें सीजेआई रहे थे।

शीर्ष अदालत के एक संचार के अनुसार, भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमना ने आज (गुरुवार) कानून और न्याय मंत्री के उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश की। न्यायमूर्ति रमना ने व्यक्तिगत रूप से अपने सिफारिश के पत्र (तीन अगस्त 2022 की तिथि) की एक प्रति आज (चार अगस्त 2022) की सुबह जस्टिस ललित को सौंपी।

प्रधान न्यायाधीश रमना, जो 26 अगस्त को सेवानिवृत्ति के बाद पद छोड़ने के लिए तैयार हैं, को बुधवार को कानून और न्याय मंत्री से उनके उत्तराधिकारी को नामित करने के लिए एक पत्र मिला।

न्यायमूर्ति ललित, जो आपराधिक कानून में विशेषज्ञता रखते हैं, को अप्रैल 2004 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सभी मामलों में सीबीआई के लिए शीर्ष अदालत द्वारा विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1986 और 1992 के बीच पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम किया था।

जुलाई में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस ललित ने टिप्पणी की थी कि अगर बच्चे रोज सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते हैं, तो जज और वकील सुबह 9 बजे कोर्ट क्यों नहीं आ सकते।

जस्टिस ललित ने कहा, आदर्श रूप से, हमें सुबह 9 बजे बैठना (सुनवाई के लिए) चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम 9 बजे कोर्ट क्यों नहीं आ सकते?

न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया भी उक्त पीठ में शामिल थे, जिसने सुबह 9.30 बजे मामलों की सुनवाई शुरू की।

न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में चार महीने के कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। वह पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया था।

जस्टिस यू. य.ू ललित सुप्रीम कोर्ट के कई अन्य ऐतिहासिक फैसलों का भी हिस्सा रहे हैं।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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