अनुज की कविताएँ बहुत मार्मिक कविताएं हैं
कार्यक्रम का आरम्भ प्रोफेसर रामवीर सिंह के वक्तव्य से हुआ ,उन्होंने के पी सिंह ट्रस्ट के बारे में बताते हुए कहा कि ट्रस्ट का उद्देश्य है कि लोग साहित्य से जुड़े और साहित्य बाकी सभी ज्ञान विज्ञान से भी जुड़े तथा उनमें व्यक्त विचारों को फैलाएं ।उन्होंने अनुज लुगन को बधाई देते हुए उनकी कविताओं को यथार्थ की अभिव्यक्ति बताया ।साथ ही उन्होंने ट्रस्ट की ओर से नलिन रंजन सिंह का आभार भी प्रकट किया ।
पुरस्कृत कवि अनुज लुगन ने अपने वक्तव्य के आरंभ में के पी सिंह मेमोरियल ट्रस्ट को धन्यवाद दिया ।उन्होंने आरंभ में अपने क्षेत्र के लोकगीत की कुछ पंक्तियां भी सुनाई ।इन गीतों के माध्यम से उन्होंने अपने जंगल अपने पहाड़ अपने लोगों को याद किया ।आदिवासी कविता पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी कविता अपने परिवेश और अपने द्वंद्व से उपजी कविता है ।आदिवासी कविता मे् उलगुलान यानि क्रांति यही से आती है यानि अपनी परम्परा से आती है ।यह जल जंगल जमीन की लड़ाई है ।इसके बाद उन्होंने आदिवासी समाज और उन पर मंडराने वाले ख़तरों के विषय में बताया कि किस तरह से पूंजीवाद उनके विचार और उनके जीवन के लिए खतरा है ।
आदिवासी कविता को इन समस्याओं पर सोचते हुए आगे बढ़ना होगा ।तभी वह एक सहजीवी समाज की स्थापना में सफल हो पायेगी । उन्होंने -मेरी मां मैं और भेड़िए,औरत की प्रतीक्षा में चाँद,तुम्हारा यह स्कूल ड्रेस,अघोषित उलगुलान, बहुत कम बच रहा ऑक्सीजन,मुठभेड़,प्रेम की नागरिकता ,बुलेट ट्रेन पर समर्थन मूल्य की बात ,आदि अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया ।
जनवादी लेखक संघ से नलिन रंजन सिंह ने कहा कि अनुज लुगन की कविताओं की सीमाएं बहुत विस्तृत हैं । कविता संग्रह की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण और सुंदर लिखी गई है जिसे बार बार पढ़ा जाना चाहिए ।बदले समय में आदीवासियों की वास्तविक स्तिथि क्या है उसके लिए अघोषित उलगुलान एक दस्तावेज है ।कैसे हाशिए के लोगों को केन्द्र में लाया जा सकता है यह संग्रह उसको दर्शाता है ।कविताओं के शीर्षक और कविताओं की सीमाओं पर बात करते हुए वे कहते हैं कि उनका वितान और भूगोल बहुत विस्तृत है । यह संग्रह खाली आदिवासी समाज को समझने का संग्रह नहीं बल्कि पूरे समाज को अनुज एक मार्क्सवादी नज़रिए से देखते हैं ।उन्होंने बताया कि किस तरह अनुज अपनी कविताओं में अपने पुरोधा कवियों को याद करते हैं । पारिस्थितिकी और पर्यावरण को लेकर भी यह संग्रह और इस संग्रह की कविताएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।आज सबसे ज्यादा खतरा भाषा पर है और हमारी स्मृतियों को समाप्त किया जा रहा अनुज का यह संग्रह इस खतरे को भी व्यक्त करता है ।उन्होंने कहा कि अनुज की कविताएँ बहुत मार्मिक कविताएं है ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने अनुज लुगन को बधाई देते हुए उनकी कविताओं की प्रशंसा की ।उनकी कविताओं पर बात रखते हुए उन्होंने अनुज की कविताओं की बहुत सी कविताओं की पंक्तियाँ बेमिसाल हैं ।कविता का काम है एक नई बात एक नई दृष्टि पैदा करना अनुज की कविताएँ ऐसा करती हैं ।उनकी कविताएँ में बसंत दुख लेकर आता है ,हर त्योहार गरीब के लिए हमेशा दुख लेकर आता है ।कविता कभी कभी ऐसा काम कर देती है कि उसकी महत्ता बनी रहती है ।
के पी सिंह मेमोरियल ट्रस्ट से नमिता सिंह जी ने दिल्ली से आए साहित्यकारों को अभार व्यक्त किया ।उन्होंने अनुज को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान एक अवसर है जिसके माध्यम से हम बातचीत करते हैं ।और कवि जब सम्मान लेता है तो ट्रस्ट सम्मानित होता है कविता सम्मानित होती है ।कविताओं के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि संग्रह की भूमिका जरूर पढ़ी जानी चाहिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है ।आदिवासी विमर्श में जबतक हम नहीं आयेगें तब तक उसकी लड़ाई सामने नहीं आयेगी ।इनकी कविताओं में उनका समाज पूरी तरह से उपस्थित है ।यदि हमें आदिवासी विमर्श को समझना है तो इस संग्रह को जरूर पढ़ना चाहिए ।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ राही मासूम रज़ा एकेडमी से वन्दना मिश्र ने उपस्थित सभी लोगों और के पी सिंह मेमोरियल ट्रस्ट को धन्यवाद दिया ,और अनुज लुगन को बधाई देते हुए उनकी कविताओं की प्रशंसा की ।कार्यक्रम में दिल्ली से आए साहित्यकारों के साथ लखनऊ के साहित्यिक वर्ग खराब मौसम के बावजूद भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहा ।