बड़े मंगल की विरासत और धरोहर को सहेजते अरमान और कामरान

आने वाली नई पीढ़ी को पुरानी विरासत की जानकारी देने और अपनी धरोहर को संरक्षित करने के लिए जरूरी है कि संगठित रूप से हम सभी को प्रयास करना चाहिए और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बुढ़वा मंगल की विरासत बचाए रखना जरूरी है | हिन्दू मुस्लिम एकता के इस बड़े मंगल के अवसर पर अरमान और कामरान द्वारा विगत 18 वर्षो से आयोजित भंडारे में 400 साल पुरानी परम्परा आज भी जीवंत रूप में।दिखाई देती है। अगर देखा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी की बड़े मंगल भंडारे की मिसाल है अरमान और कामरान इंसानियत का परिचय देते हुए यह लोग बड़े ही आत्मिक रूप से भंडारे करते चले आ रहे हैं।
डॉ मोहम्मद कामरान द्वारा ऑल इंडिया न्यूजपेपर एसोसिएशन, आईना, संगठन के तहत विशाल भंडारे के साथ निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमे हज़ारों भक्तों और आगुंतकों को आम का पना, पूड़ी, सब्ज़ी, तहरी, मट्ठा , शर्बत आदि सार्वजनिक रूप से भंडारे में ग्रहण कराया जाता है। जिसमें हज़ारों, लाखों भक्तों की भागीदारी होती है। कामरान को एक सशक्त समाजसेवी के रूप।में अरमान खान का साथ मिला तो लगभग 400 साल पहले की विरासत को नया नाम मिल गया जब अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे को अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मंदिर में स्वस्थ होने की खुशी में उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराने के साथ पूरे लखनऊ में बताशे और सबील का वितरण कराया था और बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में भंडारा कराने की प्रथा प्रारम्भ हुई । अब बड़े मंगल की परंपरा के निर्वाहन को डबल इंजन का बल मिल गया है। कामरान और अरमान का डबल इंजन 400 साल पुरानी बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद वितरण के कार्य को आज भी बड़ी भव्यता के साथ पूरा किया जाता है।
नवाबों के गुज़रे ज़माने के साथ भंडारे के स्वरूप में भी बदलाव आया है, जहां नए युग के भंडारों में मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों का तांता दिखाई देता है वही कामरान और अरमान के भंडारे का न तो स्वरूप बदला और न ही 400 साल पुरानी भावना, न दिखा मंत्री, न संत्री, न ही गंगा जमुनी तहजीब का जुमला, केवल भक्तों का सैलाब ही दिखता है और हिन्दू मुस्लिम एकता की पुरानी धरोहर को संरक्षित रखने का एक संयुक्त प्रयास है कामरान और अरमान का भंडारा।
भंडारे में विशेष रूप से आमंत्रित हनुमानगढ़ी के प्रेम मूर्ति कृष्णकांत दास जी एवं उनके सहयोगियों द्वारा पूजा अर्चना और मंत्रोच्चारण से भक्तगणों को भक्ति भाव की सरस गंगा प्रवाह से वातावरण को भक्तिमय कर दिया गया। भंडारे में मौजूद भक्तों ने हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में पूड़ी, सब्जी, बूंदी, तहरी, शरबत, आम का पना, छाछ, मट्ठा वितरित हुआ और सभी ने कहा कि सही मायनों में हिंदुस्तान की तरक्की और विकास के लिए साम्प्रदायिक एकता और सदभाव का ऐसा ही प्रवाह दिखना चाहिए जैसी लगन, निष्ठा, त्याग,समर्पण की भावना कामरान और अरमान में दिखाई देती