अरविंद केजरीवाल न्यूज़ : Sanjay Singh ED Case Hindi
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Delhi Liquor Policy Case
जेल के ताले टूटेंगे,
केजरीवाल छूटेंगे...
ये नारे लगा रहे हैं संजय सिंह, वही संजय सिंह, जो शराब घोटाले के आरोप में छह महीने तिहाड़ जेल में गुजारने के बाद जमानत पर बाहर निकले हैं... और बाहर निकलते ही वो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच अपनी पैठ बनाने में जुट गए हैं... उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नब्ज़ को पकड़ लिया है... वो नारे तो केजरीवाल के बाहर आने के लग रहे हैं, और कार्यकर्ता इन नारों से खुश भी हो रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर संजय सिंह, शायद वो खेल खेल रहे हैं, जो सियासत का एक महारथी खिलाड़ी ही खेल सकता है... यानी मौकापरस्त राजनीति, इसी राजनीति के ज़रिए सियासतदानों ने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए हैं... और अब उसमें नया नाम जुड़ने जा रहा है संजय सिंह का, वो कैसे, चलिए आपको इस रिपोर्ट के ज़रिए समझाते हैं...
क्या संजय सिंह के बाहर आने से कम होगा सुनीता केजरीवाल का अचानक बढ़ा सियासी वर्चस्व? जानें Inside Story?
आपको मालूम है कि आम आदमी पार्टी का तकरीबन पूरा शीर्ष नेतृत्व ही जेल में है, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन... और फिलहाल इन तीनों का जेल से बाहर आना, दूर की कौड़ी साबित हो रहा है... और ऐसे में संजय सिंह का बाहर आना एक बड़ा राजनीतिक खेल है... क्या आपको ऐसा लगता है कि संजय सिंह के जेल से बाहर आने से सिर्फ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का ही उत्साह बढ़ेगा? ज़रा गहराई से सोचिए, इस सवाल का जवाब कुछ और भी हो सकता है... आपने महसूस किया होगा कि जब से अरविंद केजरीवाल जेल गए हैं, तब से उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल सामने आने लगीं हैं... इसके पहले वो पर्दे के पीछे ही रहती थीं... अक्सर वे सार्वजनिक तौर पर सामने आने से बचती रहीं थीं, लेकिन जैसे ही अरविंद केजरीवाल जेल के अंदर गए, तब से वे लगातार सामने आ रही हैं...
अब तक अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने तय किया है कि वो दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, इसके बाद सुनीता की भूमिका बढ़ गई है... पार्टी कार्यकर्ताओं और अरविंद केजरीवाल के बीच वो एक Bridge का काम करने लगी हैं... सुनीता की बढ़ती सक्रियता के बाद माना जाने लगा है कि वो देर-सवेर ही सही लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री हो सकती हैं... अगर अरविंद केजरीवाल का मामला लंबा चला, वे जेल से जल्द बाहर नहीं निकल पाए, तो सुनीता आम आदमी पार्टी की स्वाभाविक नेता के रूप में भी सुनीता के उभरने की उम्मीद लगाई जा रही हैं... वैसे अरविंद के जेल जाने के बाद जिस तरह आतिशी मर्लेना और सौरभ भारद्वाज ने मोर्चा संभाला, उसकी वजह से वो भविष्य के नेता के तौर पर भी उभर रहे थे... लेकिन सुनीता के सामने आने के बाद एक तरह से माना जाने लगा था कि आम आदमी पार्टी की वे ताकत बन सकती हैं...
लेकिन संजय सिंह के जेल से बाहर आने के बाद स्थितियां बदल सकती हैं... कुछ राजनीतिक जानकार मानते हैं कि संजय सिंह के बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी में सत्ता की एक मात्र केंद्र अब सुनीता नहीं रह जाएंगी... इसकी वजह यह है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बाद आम आदमी पार्टी में अगर कोई नेता ताकतवर है, तो वो संजय सिंह ही हैं... वो पार्टी की संसद में मुखर आवाज भी हैं... संजय का कार्यकर्ताओं से जुड़ाव भी है... इसलिए ये माना जाने लगा है कि संजय के जमानत पर होने के बाद सुनीता को लेकर जारी फोकस में कमी आएगी... ये भी हो सकता है कि अगर मुख्यमंत्री बदलना पड़े तो सुनीता एक मात्र उम्मीदवार नहीं होंगी, बल्कि कार्यकर्ताओं का फोकस और उनकी राय बंट सकती है... इसके बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खींचतान बढ़ सकती है...
खैर, आम आदमी पार्टी में संजय सिंह का कद जितना ऊंचा होगा, उतना ही फायदा होगा भारतीय जनता पार्टी की सरकार को... वो कैसे, ये भी जान लीजिए... कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संजय की जमानत का ईडी का विरोध न करना, केंद्र सरकार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है... संजय के बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी में सत्ता के दो केंद्र उभर सकते हैं... अरविंद की मौजूदगी में ऐसा संभव नहीं होता... संजय सक्रिय रहे हैं, इसलिए उनका पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद है... इसलिए उनके सत्ता के दूसरे केंद्र के रूप में स्थापित होने की पूरी संभावना है... इसकी वजह से सुनीता को लेकर फोकस बदलेगा... जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है... बहरहाल, अब जेल के ताले टूटेंगे या नहीं, ये तो वक्त बताएगा... लेकिन इतना ज़रूर है कि संजय सिंह के बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी ज़रूर टूट सकती है...