प्रातः सूर्योदय के समय शंख एवं बांसुरी वादन के साथ गोमती नदी के कुड़िया घाट पर नाव पर योगाभ्यास शिविर का शुभारंभ किया गया
प्रातः सूर्योदय के समय शंख एवं बांसुरी वादन के साथ गोमती नदी के कुड़िया घाट पर नाव पर योगाभ्यास शिविर का शुभारंभ किया गया। योग फैकल्टी के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं द्वारा योगासन का प्रदर्शन किया गया। विभाग के प्रशिक्षक डॉक्टर रामकिशोर द्वारा इस अवसर पर उत्तान मंडूकासन, पर्वतासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन जैसे आसनों तथा अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास हुआ।
फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिंस के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर अमरजीत यादव ने बताया कि प्राचीन मान्यता है कि नदी में नाव पर योगासन के अभ्यास से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है क्योंकि इस तरह के अभ्यास से फेफड़े, हृदय तथा मांसपेशियों की कार्य क्षमता बढ़ती है। नदी में अभ्यास से मानव शरीर के फेफड़े सक्रीय हो जाते हैं, परिणाम स्वरुप शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा संतुलित होने लगती है। शरीर के लिए हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से शरीर से बाहर निकलती है शरीर में ऊर्जा और चेतना का स्तर बढ़ता है। नदी के जल में सूर्य की किरणों के पड़ने से उस स्थान पर विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रकटीकरण होता है। ऐसे वातावरण में योग करने से शरीर में रक्त परिसंचरण संतुलित होता है और शरीर की विषाक्तता कम होती है। रहस्यमय संभावनाओं से युक्त मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है शरीर की रासायनिक प्रयोगशाला लीवर है, संतुलित ख़ान-पान के साथ योग किया जाये तो लीवर स्वस्थ्य रहता है।
उपरोक्त सत्र में योग फैकल्टी की छात्राएं लक्ष्मी रानी यादव, स्मृति ओझा, रितिका मिश्रा, अनामिका चौधरी, स्वर्णिम, पुष्पा रोमा हेमवानी, दीपा श्रीवास्तव, शिखर शुक्ला, राजेंद्र दिवाकर, सविता रंजन, अर्चना वर्मा, वर्षा, ज्योति मिश्रा, ज्योति जोशी, श्वेता श्रीवास्तव, जिज्ञासा, प्रीति मनुज, व्याख्या सिंह, हंसिका, पीयूष तिवारी, आशा, सीमा संजय भारद्वाज, प्रतीक केसरवानी, आकाश यादव ने शिविर में भाग लिया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक एवं भारी मात्रा में जन सामान्य उपस्थित रहे।