मौन मन्दिर के पुजारी, विनोबा सेवा आश्रम के संस्थापक बाबा रमेश भैया
Baba Ramesh Bhaiya, priest of Maun Temple, founder of Vinoba Seva Ashram.
Jan 6, 2025, 07:50 IST
![Baba Ramesh Bhaiya, priest of Maun Temple, founder of Vinoba Seva Ashram.](https://aapkikhabar.com/static/c1e/client/86288/uploaded/cf60016f729ced95980a9ee27dbb816b.jpg?width=730&height=480&resizemode=4)
शाहजहांपुर(अम्बरीष कुमार सक्सेना/प्रदीप वैरागी)
विनोबा सेवा आश्रम के संस्थापक और दुनिया में विनोबा विचार प्रवाह को फ़ैलाने वाले आचार्य विनोबा भावे के अद्वितीय अनुयायियों में से एक बाबा रमेश भइया ने 25 दिसम्बर 2024 को एक वर्ष के लिए मौन व्रत धारण कर चुके हैं। वे अपनी मौन संकल्प स्थली में आत्मानंद की मस्ती में मस्त हैं।
एक वर्षीय मौन संकल्प लेने से पूर्व उन्होंने शुभेच्छा कार्यक्रम रखा जिससें उनके तमाम शुभचिंतकों और आध्यात्मिक क्षेत्र के विद्वानों ने उनके इस संकल्प को सकुशल पूर्ण होने की कामना की। बाबा रमेश भैया की कृपा से मुझे भी कार्यकम का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मेरे लिए उनका एक विशेष आग्रह इसलिए भी रहा क्योंकि वे मेरे वर्षों की मौन संकल्प साधना के अनुभवों को करीब से जानना चाहते थे।
जिसकी कुछ जानकारी उन्हें इससे पूर्व ही प्राप्त हो चुकी थी। विनोबा विचार प्रवाह से जुड़े
विराट व्यक्तित्व बाबा रमेश भैया के सम्पूर्ण देश भर में तमाम साथियों में उनके एक वर्षीय मौन संकल्प का समाचार आग की तरह फ़ैल गया। जिससे उनके तमाम शुभचिंतकों और मित्र मंडली ने उन्हें अपना विचार बदलने का भी दबाव बनाया।
लेकिन बाबा रमेश भैया कहां मानने वाले थे।
उन्होंने इससे लगभग एक सप्ताह पूर्व मुझसे फोन पर लम्बी वार्ता भी की और लोगों की प्रतिक्रियाएं भी साझा कीं।
मैंने अपने कुछ अनुभवों को साझा करते हुए उनसे अपनी बात पर अडिग रहने का आग्रह किया।
संत प्रवृत्ति बाबा रमेश भैया ने 25 दिसम्बर 2024 को अपने सम्पूर्ण परिवार की उपस्थिति में आध्यात्मिक गुरुजनों और शुभचिंतकों के समक्ष एक वर्षीय मौन संकल्प 22 घंटे लेकर विनोबा सेवा आश्रम के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
मौन संकल्प के ग्यारहवें दिन उन्होंने अपने साथियों के साथ स्वअनुभव साझा करते हुए बताया कि जीवन के विशिष्ट अनुभव हो रहे हैं। किसी प्रकार का कोई व्यवधान मौन संकल्प में नहीं हो रहा है। पौत्र नंदन जिससे डर था कि कहीं मौन में व्यवधान न करे वह भी खूब सहयोग कर रहा है। तख्ती पर लिखकर विचारों का परस्पर आदान-प्रदान आसानी से चल रहा है।
मौन संकल्प स्थली में सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
उन्होंने विनोबा विचार प्रवाह के माध्यम से कहा कि संस्थाएं समाज में विशिष्ट विचार की वाहक बनें।
जिस तरह शरीर में आत्मा होती है उसी तरह संस्थाओं को भी एक शरीर और एक आत्मतत्व हुआ करता है।
जिन विचारों को लेकर कोई संस्था खड़ी होती है,वही उसका मुख्य आत्मतत्व है।वह दिन प्रतिदिन विकसित होते रहना चाहिए।यह ध्यान में रखने की बात है। शरीर और संस्था दोनों साधक भी हो सकते हैं और बाधक भी। उनको साधक बनाना अपनी कला है। विनोबा सेवा आश्रम की संरक्षक विमला बहन ने विनोबा विद्यापीठ से जुड़े केजी से पीजी तक के शिक्षक वर्ग को सर्वोदय दैनंदिनी देते हुए सभी को शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति का आह्वान किया। अहिंसा पुस्तकालय की प्रभारी सीना शर्मा ने लाइब्रेरी की विशेषताएं बताई। बच्चों के लिए और उपयोगी कैसे बनाएं, यह चर्चा की। अनुभव कार्यक्रम का संचालन प्रबंधक मुदित कुमार ने तथा सभी का स्वागत प्रशासनिक अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने किया। प्रधानाचार्य श्याम पाल सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर शिक्षक राजबीर,आशुतोष ,अरविंद कुमार, राजबहादुर,अमित भाई, संजीव भाई, राजीव कुमार शिवांगी बहन, निशा बहन, अंजलि बहन,के पी सिंह,प्रदीप कुमार,पंकज सिंह की विशेष उपस्थिति रही।