वामपंथियों से भारत ही नही कई देश परेशान ,chinese communist party आतंकी

वामपंथियों से भारत ही नही कई देश परेशान ,chinese communist party आतंकी


National News Desk -चीन जहां लद्दाख बॉर्डर पर लगातार तनाव पैदा कर रहा है, वही चीन आतंकवाद मसले पर हमेशा पाकिस्तान का समर्थक रहा है। भारत ही नहीं, अमेरिका, जापान, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया भी चीन के छल-भरी कूटनीति के शिकार रहे हैं। हाल ही में अमेरिका के अनेक शिक्षाविदों और विश्लेषकों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के आक्रामक विस्तारवाद, मानवाधिकारों के हनन और बढ़ती जासूसी गतिविधियों के चलते, इसे एक "आतंकवादी संगठन" घोषित करने की मांग की है।

आख़िरकार, चीन हमेशा टकराव की मुद्रा में क्यों रहता है? चीन के कट्टर रवैय्ये को समझने के लिए, हमें सीसीपी के स्वभाव को समझना पड़ेगा। तभी हम जान सकेंगे कि चीन नहीं, बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है भारत और विश्व के लिए असली खतरा।

सीसीपी की स्थापना 1921 में हुई। तब चीन में राष्ट्रवादी पार्टी का शासन था जो लोकतांत्रिक थी। 1920-30 के दशक में राष्ट्रवादी पार्टी को कम्युनिस्ट विद्रोह और जापानी आक्रमण का सामना करना पड़ा। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, 1949 में माओ ज़े दोंग ने राष्ट्रवादी पार्टी से सत्ता हथिया ली और 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' की स्थापना की। क्योंकि कम्युनिस्ट विचारधारा चीन के लोगों पर जबरन थोपी गयी थी, शुरुआत से ही सीसीपी ने अपना स्थापत्य बनाये रखने के लिए, छल, वर्ग–संघर्ष और हिंसा का सहारा लिया।

सीसीपी के अत्याचार के सबसे बड़े भुक्तभोगी तो चीन के नागरिक रहे हैं। पिछले 70 वर्षों में, कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन को एक के बाद एक मानव निर्मित त्रासदियों के हवाले किया है, जैसे महान अकाल, सांस्कृतिक आन्दोलन, तियाननमेन हत्याकांड, फालुन गोंग दमन, तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का हनन।

। इस मामले में जांच के लिए "डॉक्टर्स अगेंस्ट फोर्स्ड ऑर्गन हार्वेस्टिंग" नामक संस्था को 2016 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया। इसके संस्थापक डॉ टॉर्स्टन ट्रे को, नवंबर 2019 में मुंबई में, हार्मनी फाउंडेशन द्वारा आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया गया।

एपोक टाइम्स न्यू यॉर्क के रिपोर्टर जोशुआ फिलिप ने चीनी सेना के सार्वजनिक रूप से अपनाए गए "थ्री वारफेयर सिद्धांत" के बारे में बताया, जिसमें मनोवैज्ञानिक युद्ध, मीडिया युद्ध और कानूनी युद्ध शामिल हैं। सीसीपी ने यही रणनीति लद्दाख में घुसपैठ पर अपनाई है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन ने एल.ए.सी पर सेना तैनात करने के तर्क पर, भारत को "पांच अलग-अलग स्पष्टीकरण" दिए हैं। सीसीपी छल और धोखा-धड़ी की रणनीति से दूसरे देशों पर भी दबाव बनाती रही है, जैसे - साउथ चाइना सागर में आक्रामक विस्तारवाद, पश्चिमी देशों के इंटेलेक्चुअल राइट्स की अवहेलना और चोरी, दूसरे देशों की आई.टी. व्यवस्था पर साइबर अटैक, अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में कन्फुशियस इंस्टिट्यूट द्वारा घुसपैठ। रक्षा विशेषग्य ब्रह्मा चेलानी के अनुसार चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य, छोटे राष्ट्रों को कर्ज में डुबाना है, जिससे वे चीन के अंगूठे के नीचे रहें।

प्रतिष्ठित मैगसेसे अवार्ड विजेता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक कहते हैं कि भारत की बुलेट पॉवर से ज्यादा वॉलेट पॉवर कारगर हो सकती है। अगर हम सब बड़े स्तर पर चीनी व्यापार का बायकॉट करते हैं तो उसका चीनी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा। आवश्यक है कि हम देश के व्यापार, मीडिया, राजनीती और शिक्षा प्रणाली में सीसीपी के हस्तक्षेप से, स्वयं जागरूक रहें और दूसरों को इसके बारे में बताएं। यह स्पष्ट है कि सीसीपी विश्व शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।



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