राजस्व सृजन में तेजी और पारदर्शिता पर सीएम योगी का जोर, जीएसटी पंजीकरण बढ़ाने और रिटर्न समय पर फाइल करने के निर्देश

लखनऊ, अक्टूबर 2025 । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य कर विभाग की राजस्व स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया कि विभाग में तैनाती केवल परफॉर्मेंस के आधार पर होगी। उन्होंने कहा कि वही अधिकारी फील्ड में जिम्मेदारी पाएंगे जो लक्ष्य प्राप्ति के प्रति समर्पित हों और जिनकी छवि ईमानदार हो।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जोनों के अधिकारियों से सीधा संवाद किया और राजस्व संग्रह की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म के बाद बाजार में तेजी आई है और आने वाले महीनों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने त्योहारों के सीजन को देखते हुए निर्देश दिए कि धनतेरस और दीपावली पर किसी भी तरह की अनावश्यक छापेमारी या जांच से बचा जाए और व्यापारियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
जोनवार समीक्षा और जवाबदेही तय करने के निर्देश
सीएम योगी ने सभी जोनों की संभागवार और खंडवार समीक्षा की। इस दौरान बताया गया कि बरेली (64.2%), सहारनपुर (63.7%), मेरठ (63.0%), गोरखपुर (62.5%) और झांसी (62.1%) जोनों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। वहीं कुछ जोनों में लक्ष्य पूर्ति 55 से 58 प्रतिशत के बीच रही, जहां सुधार की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 प्रतिशत से कम राजस्व संग्रह वाले खंडों के कारण स्पष्ट किए जाएं और सुधार की कार्ययोजना तुरंत बनाई जाए। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि बरेली, झांसी और कानपुर प्रथम जोन में कोई भी खंड 50% से नीचे नहीं है, जो सकारात्मक संकेत है।
राजस्व वृद्धि को राज्य की प्रगति का आधार बताया
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक प्रगति राजस्व वृद्धि पर निर्भर करती है। सभी अधिकारी निर्धारित लक्ष्यों की शत-प्रतिशत प्राप्ति का संकल्प लेकर काम करें। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को स्वयं बाजार में जाकर मार्केट मैपिंग करने और व्यापारियों से संवाद बढ़ाने के निर्देश दिए। सीएम योगी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मंडी शुल्क में कमी से किसानों को राहत मिली और राजस्व भी बढ़ा। यह प्रमाण है कि पारदर्शी और सरल कर प्रणाली हमेशा लाभकारी होती है।
55,000 करोड़ की प्राप्ति, 1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य
बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में सितम्बर तक राज्य कर विभाग को कुल ₹55,000 करोड़ की प्राप्ति हुई है, जिसमें ₹40,000 करोड़ जीएसटी और ₹15,000 करोड़ वैट/नॉन-जीएसटी से प्राप्त हुए हैं। चालू वित्तीय वर्ष के लिए विभाग का लक्ष्य ₹1.75 लाख करोड़ रखा गया है, जो पिछले वर्ष से लगभग ₹18,700 करोड़ अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय जीएसटी संग्रह में अग्रणी योगदान देना चाहिए और इसके लिए नियोजित प्रयास होने चाहिए।
फर्जी आईटीसी और लंबित मामलों पर सख्त कार्रवाई
बैठक में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) और बोगस फर्मों के मामलों पर विशेष चर्चा हुई। अब तक 104 फर्मों में ₹873.48 करोड़ के फर्जी आईटीसी का पता लगाया गया है और इन पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व संग्रह में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सर्वोपरि हैं। जहां भी कमी दिखे, वहां तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएं। उन्होंने बकाया वसूली, फर्जी आईटीसी की रोकथाम और लंबित जीएसटी/वैट मामलों के शीघ्र निस्तारण पर बल दिया।
करदाताओं के लिए बेहतर माहौल की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि करदाताओं का विश्वास और सुविधा ही स्थायी राजस्व वृद्धि का आधार है। उन्होंने ई-गवर्नेंस प्रणाली को और मजबूत करने और करदाता-मित्रवत वातावरण बनाने पर जोर दिया। सीएम योगी ने कहा—“हर अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि कर संग्रह का प्रत्येक रुपया प्रदेश के विकास में योगदान करता हुआ दिखे।”
