शिवोत्सव में उमड़ा जनसैलाब: आचार्य अशोक ने बताया शिव आराधना से सुख-शांति का मार्ग

शिव ज्ञान से दूर करें जीवन की दुर्बलताएँ
आचार्य अशोक ने जीवन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन उसी का सार्थक है, जिसके जीवन में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दुर्बलता के लिए कोई स्थान न हो। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संदेश दिया कि हमें जीवन भर संघर्षरत रहकर शिव ज्ञान के माध्यम से अपनी सभी दुर्बलताओं को दूर करना चाहिए।
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उन्नति का सूत्र: आचार्य जी ने बताया कि जीवन की उन्नति के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर परमात्मा का ध्यान और शिव नाम का जाप करना अनिवार्य है।
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अंधविश्वास से दूरी: प्रचारक सोनपाल ने लोगों से अंधविश्वास और पाखंड से दूर रहकर शिव आराधना में रत रहने का शिव संकल्प जन-जन तक पहुँचाने की बात कही।

सत्संग: समाज को जोड़ने का माध्यम
व्यवस्थापक यमुनाप्रसाद ने सत्संग की महत्ता बताते हुए कहा कि आज के आधुनिक युग में जहाँ घर, परिवार और समाज विभक्त हो रहे हैं, ऐसे समय में सत्संग की उपयोगिता और बढ़ जाती है। सत्संग समाज में फैली विषमता को समाप्त कर घर और समाज को जोड़ने का कार्य करता है।
लखीमपुर जिला अध्यक्ष जमुना प्रसाद बाबू जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने जीवन में जो कुछ भी पाया है, वह संतों के सान्निध्य से प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि संतों का सान्निध्य तब मिलता है जब कई जन्मों का तप फलीभूत होता है।
शाहजहाँपुर जिलाध्यक्ष डॉ. कालिका प्रसाद जी ने कहा कि जब भक्त निस्वार्थ भाव से शिव उपासना और शिव जाप करते हैं, तभी उनके जीवन में परमात्मा की कृपा प्रारंभ होती है और उनका जीवन धन्यता को प्राप्त करता है। बहन सुदामा ने महिलाओं को अपने दैनिक कार्यों के दौरान भी शिव शिव का उच्चारण करते हुए परमात्मा की समीपता बनाए रखने का तरीका बताया।
शिवोत्सव का सफल आयोजन
इस शिवोत्सव का शुभारंभ सत्संगी राजेश कुमार सक्सेना, मुनीश्वर दयाल और महात्मा राम सागर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। बहन बेबी ने सामूहिक ईश प्रार्थना प्रस्तुत की। रवि वर्मा द्वारा संचालित और राजेश कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में, सत्संगी धनीराम, श्रीकृष्ण, रोहित वर्मा, सत्यम सक्सेना, भैयालाल, आशाराम सहित बाल-गोपालों ने प्रेरणादायी भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
