डेरी विभाग के कर्मचारियों का शुएट्स विश्वविद्यालय की गलत नीतियों के खिलाफ आक्रोश
हम आपको बता दें की शुएट्स में सोसाइटी पेड शिक्षकों एवं कर्मचारयों को 12 महीने की बकाया पिछली सैलरी नहीं दी गई। इसमें से भी 65 परसेंट कर्मचारियों को नवंबर 2023 की सैलरी सितम्बर 2024 में दी गई थी जो की हास्यास्पद है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने कुछ ख़ास और करीबियों को 12 महीने की बकाया पिछली पूरी सैलरी के साथ उनका प्रमोशन तक कर दिया गया।
जिसमे से कुछ कर्मचारी अब अपनी 2024 की भी वर्तमान सैलरी नवंबर की उठा चुके हैं। ये लगभग 35 परसेंट ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी 12 महीने की बैकलॉग सैलरी दे दी गई प्रमोशन के साथ और बाकी बचे 65 परसेंट कर्मचारियों को शुएट्स की कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। इन 65 प्रतिशत सोसाइटी कर्मचारियों को अभी तक 12 महीने की बकाया सैलरी नहीं मिली है और वर्तमान में भी नहीं दी जा रही है।
शुएट्स विश्वविद्यालय अपने चहेतों को सैलरी देने का नया तरीका निकाला है। इसके लिए शुएट्स प्रशासन ने इमरजेंसी नामक शब्द का प्रयोग करके फूट डालो और राज करो के अपने हित को साधा है। इसके तहत जिसको इमरजेंसी हो वो इमरजेंसी की आड़ में अपनी सैलरी ले ले। ये इमरजेंसी शब्द शुएट्स प्रशासन के अपने चहेतों के लिए बना है। मैं पूछना चाहता हूँ 13 महीने की बकाया सैलरी सभी सोसाइटी कर्मचारियों के लिए क्या किसी इमरजेंसी से कम है ?
इस प्रकार से विश्वविद्यालय के 35 परसेंट कर्मचारियों को खुश किया जा रहा और बाकी 65 परसेंट कर्मचारियों से गुलामों की भांति बिना सैलरी दिए, काम लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए की शुएट्स विश्वविद्यालय में रिसिवर को नियुक्त करे और यहां के भ्रष्टाचार को उजागर करे। इस आंदोलन में मुख्य रूप से शिक्षकों/कर्मचारियों में डॉ. शंकर सुवन सिंह, डॉ. सहजानंद ठाकुर, डॉ. संगीता शुक्ल, डॉ प्रियब्रथ गौतम, इंजीनियर अंकुर रमोला, इंजीनियर शांता पीटर, हरिओम, जैनेन्द्र, राम लाल, मनोज आदि बहुत संख्या में लोगों ने अपनी आवाज को अन्याय के खिलाफ बुलंद किया।