दिल्ली का आपदा प्रबंधन 

Disaster Management of Delhi
दिल्ली का आपदा प्रबंधन 
पंकज शर्मा "तरुण "-विनायक फीचर्स) वैसे देखा जाए तो इस भावी विकसित भारत देश में अभी भी कई समस्याओं को वर्तमान केंद्र सरकार ने चिन्हित किया है।जिसे आए दिन यशस्वी प्रधानमंत्री जी  चुनावी रैलियों में बड़े ही जोशीले अंदाज में कहते पाए जाते हैं कि डबल इंजिन की सरकार बनाओ तभी तुम्हारे प्रदेश को भी विकसित भारत में शामिल कर लेंगे। कुछ राज्यों के अति शिक्षित मतदाता माननीय मोदी जी की बात समझ जाते हैं और अपना अमूल्य वोट उन्हीं को देना सुनिश्चित कर देते हैं। कुछ कम पढ़े लिखे लोग जिनके दिमाग में जन्म से ही पंजे का भूसा भरा होता है तो इनकी बात उनके न तो गले में उतरती है और न भेजे में!

दिल्ली का आपदा प्रबंधन 
 कुछ रमेश  बिधूड़ी टाइप के लोग इन दिनों दिल्ली के चुनाव घोषणा की पूर्व संध्या पर आप के गुड़ को गोबर बताने पर अपनी ऊर्जा को झोंकते पाए गए । सड़कों को महिला नेत्री के गालों जैसी चिकनी बनाने के झूठे वादे करते पकड़े गए और खेद प्रकट कर मर्यादा पुरुषोत्तम बनते नजर आए।जैसे चोर चोरी करते पकड़ा जाता है तो माफी मांग लेता है और छूट जाता हो?जब से दिल्ली में चुनाव का कोहरा छाया है सब विपक्षियों ने अपने अपने बंगलों से बाहर आकर प्रदूषण का लेबल और बढ़ा दिया है।कोई जमुना जी को मैली कर उसे साफ नहीं करवाने का आरोप लगा रहा है और अगली सरकार उनकी बनी तो वे इसे गंगा जैसी पवित्र कर देने का वादा कर दावा ठोक रहे हैं।कोई चुनाव जीतने के लिए अपने अपने गाने बनवा कर सुना रहे हैं तो कोई फिल्मी स्टाइल में पोस्टर बना कर एक दूसरे को चोर,झूठा, मक्कार बता रहे हैं।


कहने को दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ ही दुनिया भर के दूतावास बने हुए हैं । केंद्र सरकार के मंत्री, संतरी ,सांसद, राष्ट्रपति निवास करते है जिनके बंगले भी शाही साज सज्जा से लथपथ हैं। हो भी क्यों न आखिर दिल्ली देश की राजधानी है जिसकी सड़कें हमने आपने सबने देखी हैं। हम सभी देशवासियों को भी दिल्ली पर गर्व है। मगर न जाने क्यों माननीय प्रधानमंत्री जी आज कल अपनी दिल्ली को आपदा ग्रस्त बता रहे हैं?आप की सरकार तो पिछले कई सालों से आम आदमी की जागीर बनी हुई है।अमेरिका के गलियारों में भी यहां के विकास की पिछले दिनों खबर आई थी। क्या विदेशी अखबार भी बिक गए हैं?हो सकता है पैसा किसको बुरा लगता है?फिर हमारे देश के लोकप्रिय बुजुर्ग प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं तो हम तो उन्हीं की बात मानेंगे। किसी झूठे और अन्ना हजारे को धोखा देने वाले जेल रिटर्न केजरीवाल की बात क्यों मानेंगे?


जहां एक और किसान आंदोलन की आपदा पहले से ही हरियाणा यू पी की सीमा पर डेरा डाले बैठी है वहीं दूसरी ओर आप दा के रूप में आतिशी चुनाव प्रचार में केजरीवाल लगे हुए हैं।बेचारी कांग्रेस को तो ये आपदा और भाजपा वाले नेता कोई भी भाव देने को तैयार नहीं शायद इनके माजने ही यही हैं।इनकी सरकारें थी तब ये भी सब आम आदमी को ठेंगे पर बिठाते थे।अब इस बरसों से आई आपदा को खत्म करने के लिए दशकों से एक दूसरे के धुर विरोधी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी मिल कर जोर आजमाइश में जुट गए हैं।यह देखना भी दिलचस्प होगा कि आपदा को दूर करने में इन दोनों विरोधी दलों के दिग्गज कामयाब होते हैं या इस कवायद में स्वयं ही आपदाग्रस्त होते हैं?हमें तो यह आठ मार्च को ही पता चलेगा।(विनायक फीचर्स)

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