नेत्रदान कर दूसरों को भी संसार देखने को दें मौका: डॉ प्रवीण दीक्षित
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उन्होंने बताया कि नेत्रदान मृत्यु के बाद होता है। मृत्यु के 6 घंटे के अंतर्गत नेत्रदान हो जाना चाहिए। चिकित्सक स्वयं नेत्रदाता के घर जाकर निःशुल्क नेत्र निकालेंगे। यदि किसी व्यक्ति के द्वारा जीवित अवस्था में नेत्रदान की घोषणा न की गई हो फिर भी रिश्तेदार मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते हैं।
नेत्र दाता को मृत्यु पूर्व एड्स, पीलिया, कर्करोग (ब्लड कैंसर) रेबीज, सेप्टीसीमिया, टीटेनस, हेपिटाइटिस तथा सर्पदंश जैसी बीमारी है तो उसके नेत्र, दान के लिए अयोग्य समझे जाते हैं।श्री दीक्षित ने कहा कि नेत्र ऑपरेशन पश्चात् तथा चश्मा पहनने वाले व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं। नेत्रदान हेतु अपने नजदीक के शासकीय अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय में संपर्क कर सकते हैं।कार्यक्रम में विशेष योगदान हेतु नेत्र परीक्षक प्रीती वर्मा उपस्थित रहीं।इस अवसर पर सी एच सी का समस्त स्टाफ एवं सभ्रांत जन मौजूद रहे।