रेडियो पत्रकारिता क्षेत्र में आर्थिक पैकेज की घोषणा करे सरकार - आईना
बदलते डिजिटल युग में पत्रकारिता का पूरा स्वरूप ही बदल गया है । मोजो जर्नलिज्म के चलन से पत्रकारिता का ताना-बाना पूरी तरह बदल गया है और इस इंटरनेट के दौर में एफ-एम रेडियो, मोबाईल मीडिया जैसे वैकल्पिक माध्यम हमारे जीवन के अंग बनते जा रहे हैं। इस बदलते मीडिया के रेडियो पत्रकारिता क्षेत्र में जमशेद भाई का अपना एक अलग अंदाज है। पत्रकारिता में खबरों के साथ तस्वीर ना हो तो खबर मुकम्मल नहीं बनती। शायद इसीलिए यह कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों की खबर बयान करती है। लेकिन जमशेद भाई की रेडियो पत्रकारिता एक अलग तरह की पत्रकारिता है जिसमें तस्वीर नहीं होती।
कागज़ पर बिखरे अल्फ़ाज़ नहीं होते, ऐसे में जमशेद रेडियो पर अपने शब्दों से एक पूरी कहानी बनाते है और उसी कहानी से पूरी तस्वीर बन जाती है जिसे सुनने वाले मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहते हैं और श्रोताओं के ज़हन में जमशेद की जादुई आवाज़ पूरी ख़बर का सजीव चित्रण बना देती है । द्वापरयुग में महाभारत में धृतराष्ट्र को संजय पूरे युद्ध का वृत्तांत सुनाते थे और धृतराष्ट्र को युद्ध के साक्षात दर्शन हो जाते थे । आज उसी भूमिका में जमशेद खबरों का हाल बयान करते हैं।
महाभारत की कथा से इस बात की पुष्टि होती है कि रेडियो पत्रकारिता का प्रचलन हमारे देश मे सदियों पुराना है ।
वर्तमान में रेडियो पत्रकारिता भी आज के हालात का शिकार हो गयी है । जिस तरह पूरे देश का मीडिया एक बुरे दौर से गुजर रहा है उससे रेडियो जगत की पत्रकारिता पर भी काफी असर पड़ा है । लोकल लेवल के ब्रॉडकास्ट होने वाली खबरों के प्रोग्राम पर रोक लग गई है और रेडियो से जुड़ी पत्रकारिता खतरे में है। इन परिस्थितियों को देखकर लगता है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जिसे मीडिया के नाम से जाना जाता है आज अपने जीर्ण शीर्ण हालातों में पहुंच चुका है और इस चौथे स्तंभ को मदद की सख्त जरूरत है । अगर समय रहते इस स्तंभ को नही बचाया गया तो आने वाले कल में इसका अस्तित्व मिट जाएगा । जिस तरह सरकारी मदद से पुरातत्व विभाग किसी ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए उस धरोहर की देखभाल और रंग रोगन लगाकर उसे एक नया जीवन देता है। उसी तर्ज पर मीडिया जगत को भी बचाने के लिए मोदी सरकार को कुछ वैसा ही करने की जरूरत है।
80 करोड़ देशवासियों को भोजन इत्यादि की जो व्यवस्था की गई है वो मोदी सरकार की दूरगामी सोच का परिणाम है लेकिन 80 करोड़ देशवासियों के साथ साथ समाज के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार वर्ग के लिए अगर कुछ नही किया गया तो आने वाले कल में पत्रकारिता जगत की तस्वीर ही बदल जाएगी। आज इस मौके पर आईना परिवार के सभी साथियों ने मोदी और योगी सरकार से अपील की है कि इस चिंतनीय विषय पर देश की मीडिया से जुड़े लोगों के हित एवं पत्रकारिता की धरोहर को बचाने के नियम बनाते हुए आर्थिक पैकेज की घोषणा करें ।