साहिब श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) को समर्पित गुरमत समागम
शाम का विशेष दीवान 6.30 बजे श्री रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो रात्रि 10.30 बजे तक चला। जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में नाम सिमरन एवं शबद कीर्तनः- तेग बहादुर सिमरिअै घर नौ निध आवै धाइ।। सभ थाई होए सहाइ।।
गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया। ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने साहिब श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आप का जन्म आज ही के दिन अमृतसर में हुआ था। आप के पिता जी का नाम गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी एवं माता जी का नाम नानकी जी था। बचपन से ही आप संत स्वरुप गहरे विचारवान निर्भय व त्यागी स्वभाव के थे।
आपके स्वभाव के अनुरुप आपका नाम त्यागमल रखा गया अपने पास जो भी चीज हो लोगों को निःसंकोच दे देनी। एक बार अमृतसर के यु़द्ध में हाथ में तलवार पकड़कर दुश्मनों का मुकाबला किया और तलवार के खूब करतब दिखाये। तब श्री गुरु हरिगोबिन्द जी ने अपने लाडले पुत्र को कहा कि तुम तो तलवार चलाने मे बडे़ निपुण हो पंजाबी भाषा में तलवार को तेग के नाम से जाना जाता है। तब से आपका नाम त्यागमल से तेग बहादुर रख दिया। अमृतसर की लड़ाई के बाद आपका मन बैराग से भर गया। आपने लड़ाईयों मे भाग लेना छोड़ दिया और अमृतसर से कुछ दूर बाबा बकाला मे आकर भक्ति करने लगे और सिख संगतों को बैरागमयी उपदेश देकर उनके अन्दर भक्ति भावना पैदा करते थे और कहते थे कि संसार में सब कुछ नाशवान है। प्रभु का नाम ही मनुष्य के साथ जाता है। आपका श्लोक है-
"जो उपजियो सो बिनस है परो आज के काल, नानक हर गुण गाये ले छाड सगल जंजाल।।"विशेष रूप से पधारे राजी दत्ता भाई राजिन्दर सिंह जी करतारपुर साहिब वालों ने शब्द (1)-" साधॆ गोबिंद के गुण गावो। मानस जनम अमोलक पाइयो बिरथा काहे गवाऊ।।"
(2)- "साधु मन का मन त्यागो काम क्रोध संगत दुरजन की ता ते अहिनिसि भागउ।। गायन कर समूह साथ संगत को निहाल किया। बीबी कमलजीत कौर जी (मसकीन) शाहाबाद मारकंडा वालों ने अपनी मधुर वाणी में "तेग बहादुर सिमरिऐ घर नउ निधि आवे धाऐ सब थाईं होऐ सहाय" शबद गायन कर समूह साथ संगत को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन स0 सतपाल सिंह ‘‘मीत’’ जी ने किया दीवान की समाप्ति के पश्चात् लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने आई साध संगत को साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व (प्रकाशोत्सव) की बधाई दी। तत्पश्चात गुरु का लंगर दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा श्रधालुओं में वितरित किया गया।