पंजाब में धड़ल्ले से चल रहे हैं हुक्का बार
अधिकतर होटल मालिकों ने इससे बचने के कई रास्ते निकाल लिए है। नशा छुड़ाओ केंद्रों के विशेषज्ञ डॉक्टरों का मत है कि एक हुक्का पार्टी 20 से 60 मिनट तक चलती है।इसमें भाग लेने वाला नौजवान इतनी देर में कम से कम इतना धुआं निगल जाता है जो 50 से 60 सिगरेट पीने से शरीर में पहुंचता है।
सूत्रों के अनुसार बड़े शहरों के नामी होटलों में हुक्का बार बड़े ऊंचे दामों पर बेचे जाते हैं। हुक्का बार का नशा आम व्यक्ति के बस की बात नहीं है, इसे अमीरों और रईसजादों का नशा कहा जाता है। अब सस्ता नशा भी मार्केट में आ गया है, अब हुक्कों में पैन एवं वेप्स प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं। यह आधुनिक प्रकार के हुक्के होते हैं जो आपकी हथेली पर फिट हो सकते हैं इसमें तरल गैस पदार्थ भरे होते हैं जिसमें निकोटिन ज्यादा होती है।
बड़े-बड़े होटलों के मालिकों का कहना है कि पंजाब में हुक्का बार पर पाबंदी लगने के कारण उनके व्यापार को बहुत नुकसान हुआ है। युवा वर्ग में यह काफी लोकप्रिय हो चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक वेप के लिए 599 रुपए वसूले जाते थे। वेपस के लिए एक बार ही निवेश करना पड़ता है । एक बार ही कच्चा माल खरीदना पड़ता है जो लिक्विड शक्ल में होता है।
इस लिक्विड में तंबाकू की मात्रा शून्य होती है जो कि किसी पान वाली दुकान से आसानी से खरीदा जा सकता है। यह तंबाकू और सिगरेट की श्रेणी में नहीं आता और ना ही इसको बेचने और खरीदने पर कोई कानूनी पाबंदी है। अब हुक्कों की बिक्री ऑनलाइन भी होने लगी है। आजकल आलीशान हुक्के नौजवानों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। होटल मालिकों ने बताया कि एक वेपस की कीमत 3 से 4 हज़ार रुपए होती है जब माल की कमी होती है तो इसकी कीमत 7 से 8 हज़ार तक पहुंच जाती है जबकि लिक्विड 300 से 400 में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है । अब नौजवानों में पैन हुक्का भी काफी लोकप्रिय होता नजर आ रहा है।
हुक्का बार छोटे शहरों में भी अपनी पहुंच बना रहे हैं, फिरोजपुर के नामी होटलों में हुक्का बार धड़ल्ले से चल रहे हैं और होटल वाले मोटी कमाई कर रहे हैं। बड़े शहरों में कुछ हुक्का बार के शौकीन लोग बड़ी-बड़ी कोठियां किराए पर लेकर धंधे को प्रमोट कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ जवान लड़कियां भी हुक्का बार की तरफ आकर्षित हो रही है।तंबाकू नोशी के लिए हुक्का सबसे सस्ता लोकप्रिय विकल्प है। गांव में वृद्धों में भी हुक्कों की मांग नियमित बढ़ रही है। कुछ वर्षों से हुक्का बार शहरी नौजवानों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। देखा जाए तो लोग सिगरेट पीने की बजाय हुक्के को सुरक्षित विकल्प मानते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हुक्का सिगरेट से भी ज्यादा भयानक एवं खतरनाक है और स्वास्थ्य पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ते हैं।
दिल्ली के ऑल इंडिया मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि हुक्का पार्टी में एक व्यक्ति एक घंटे तक चलने वाली पार्टी में 200 से 250 कश लगाता है ,जबकि एक सिगरेट से 20 से 25 कश लग सकते हैं। हुक्का बार के विरोध में ऑल इंडिया सिख फेडरेशन ने अमृतसर में आवाज उठाई थी ,इसके साथ-साथ हिंदू संगठनों ने आगे आकर कहा था कि होटल मालिक लालच में आकर हिंदू लोगों को ड्रग्स के धंधे में उलझा रहे हैं।
आमतौर पर हुक्का बार सुबह छह बजे खुल जाते हैं। इन हुक्का बारों में हर प्रकार का नशा आसानी से उपलब्ध हो सकता है । कई हुक्का बारों में परंपरागत फ्लेवर मिला होता है जो नौजवानों के दिलों दिमाग में नया जोश भर देता है। होटल और रेस्टोरेंट वाले हुक्का बार चलाने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। फिरोजपुर शहर व शामली में बड़े होटलों के मालिकों द्वारा पुलिस को महीना दिया जाता है और जब भी पुलिस की रेड होती है तो होटलों के मालिकों को पुलिस वाले पहले ही सूचित कर देते हैं और रेड के समय हुक्के इत्यादि लुप्त हो जाते हैं।वैसे ये हुक्का बार 12 महीने 30 दिन बिना किसी भय से चल रहे हैं। बड़े व्यापारी इस बात पर टिप्पणी करने को तैयार नहीं है। भगवत सिंह मान की सरकार क्या हुक्का बार प्रथा पर काबू कर पाएगी ?यह एक बड़ा प्रश्न है।