हिंदू धर्म में गौ- वंश की महत्ता

गाय का गोबर भी बहुत शुभ माना जाता है । गोवर्धन के रूप में इसकी पूजा होती है।शुभ कार्यों में गोबर से घर - आंगन को लीपा जाता है । आज भी गांवों में यह विधान चलता है। हवन व ईंधन के रूप में गाय के गोबर के उपलों का प्रयोग बड़ी मात्रा में होता है । गौ - मूत्र को औषधीय गुण संपन्न कहा गया है ।
हमारे यहां गौ दान को बहुत बड़ा दान माना जाता है । सांड की पीठ के उभार को शिवलिंग के रूप में भी देखा जाता है । सांडों को नंदी भगवान का रूप माना जाता है । नंदी भगवान शिव जी के वाहन व सेवक भी हैं ।हमारे यहां बैलों के माध्यम से खेतों का काम भी चलता है । बैलगाड़ी में बैलों को ही लगाया जाता है । बैल मनुष्य से भी कहीं ज्यादा श्रम देने वाला प्राणी होता है ।
गौ वंश के बारे में यह कहना भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि इसके अंदर अनुभूति की अद्भुत क्षमता होती है । चूंकि गाय चौपाया है , इसलिए उसे हर कोई अपने वश में कर लेता है , मगर उसकी आंखों में झांकने पर पता चलता है प्रेम व दर्द को वह किस तरह प्रकट कर सकता है ।
गाय की रक्षा और संरक्षण की आज बहुत आवश्यकता है । अगर ईश्वर ने सुविधाएं दी हैं तो हमें एक गाय जरूर पालनी चाहिए । व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से गौशालाएं बनाई जानी चाहिए । वहां गायों की सेवा - सुश्रुषा की जानी चाहिए। गाय को गौ माता के रूप में हर्षोल्लास के साथ पूजा जाना चाहिए ।
गाय को जूठा नहीं खिलाना चाहिए । गाय को सुबह के समय एक रोटी जरूर खिलानी चाहिए । गाय एक ऐसी देवी है , जो एक दिन प्रेम मिलने पर खुद ब खुद प्रसाद ग्रहण करने के लिए चली आती है । ठीक समय पर । गाय के बारे में एक सत्य कथा मुझे याद आ रही है । एक बस का ड्राइवर गलती से एक बछड़े को धक्का मार देता है । बछड़ा मर जाता है । मां गाय इतनी दुखी व क्षुब्ध हो जाती है कि हर रोज ठीक समय पर रोड पर पहुंचकर बस को रोक लेती थी । यात्रियों के काफी प्रयास के बाद रास्ता देती थी । दुखी ड्राइवर एक दिन अपने घर पर मृत बछड़े की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करता है , क्षमा मांगता है । इसके बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है इसलिए गाय को दुखी नहीं करना चाहिए।(विभूति फीचर्स)