आईएनएसटी मोहाली, पंजाब के वैज्ञानिकों ने जबरदस्त खोज

आईएनएसटी मोहाली, पंजाब के वैज्ञानिकों ने जबरदस्त खोज

Technology News - वैज्ञानिकों ने अल्ट्रा-हाई मोबिलिटी के साथ इलेक्ट्रॉन गैस का उत्पादन किया है जोकिकिसी उपकरण के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक क्वांटम सूचना और सिग्नल के हस्तांतरण की गति और डेटा भंडारण व मेमोरी को बढ़ा सकती है।

आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में नई कार्यक्षमता प्राप्त करने की आवश्यकता के कारण एक इलेक्ट्रॉन के गुण में उसके आवेश के साथ फेर-बदल किया गया जिसे स्पिन डिग्री ऑफ फ्रीडम कहा जाता है। इसने स्पिन-इलेक्ट्रॉनिक्स या स्पिनट्रॉनिक्स के एक नए क्षेत्र को उभारा है। यह महसूस किया गया कि 'रश्बा प्रभाव'नाम की एक घटना, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में स्पिन-बैंड का विखंडन होता है, स्पिनट्रॉनिक उपकरणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

Press Information Bureau द्वारा किये गए प्रेस रिलीज में बताया गया है कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान नैनो साइंस एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली, पंजाब के वैज्ञानिकों ने दो इन्सुलेट ऑक्साइड परतों के इंटरफेस पर एक अल्ट्रा-हाई मोबिलिटी 2डी-इलेक्ट्रॉन गैस (2डीईजी) का उत्पादन किया है।

pib news में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉन गैस की हाई मोबिलिटी के कारण, इलेक्ट्रॉन लंबी दूरी के लिए माध्यम के अंदर टकराते नहीं है और इसलिए मेमोरी और सूचना को गंवाते नहीं है। इसलिए, इस तरह की प्रणाली लंबे समय और दूरी तक अपनी मेमोरी को आसानी से याद रख सकती है औरउनका हस्तांतरण कर सकती है। इसके अलावा,क्यूंकि वे अपने प्रवाह के दौरान कम टकराते हैं, इसलिए उनका प्रतिरोध बहुत कम होता है,इसलिए वे ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में नष्ट नहीं करते। अतः, ऐसे उपकरण आसानी से गर्म नहीं होते हैं और इनको संचालित करने के लिए कम इनपुट ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

डीएसटी-नैनो मिशन के अनुदान से सहायता प्राप्त एक परिष्कृत, विशेष रूप से निर्मित उपकरण जिसे कॉम्बीनेटरियल पल्स्ड लेजर डिपॉजिटेशन सेटअप कहा जाता है, नैनो साइंस एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली, पंजाबमें एसोसिएट प्रोफेसर डॉ, सुवंकर चक्रवर्ती ने रासायनिक ईयूओ और केटेएओ3 से बने नए इंटरफेस पर अल्ट्रा मोबिलिटी के साथ 2डीईजी काउत्पादन किया है। 2डीईजी में इलेक्ट्रॉनों की मजबूत स्पिन-ऑर्बिट युग्म और आपेक्षिकीय प्रकृति के परिणामस्वरूप 'रश्बा क्षेत्र' बना। इस शोध को एडवांस्ड क्वांटम टेक्नोलॉजीज नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया था।

आईएनएसटी की टीम के अनुसार, अत्यधिक मोबाइल इलेक्ट्रॉन गैस वाले ऐसे ऑक्साइड इंटरफेस पर बड़ा रश्बा- प्रभाव उपकरण भौतिकी के एक नए क्षेत्र, खासकर अगली पीढ़ी के डेटा भंडारण मीडिया और क्वांटम कंप्यूटर के लिए उपयुक्त क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।

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