अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस (9 दिसंबर): सामाजिक जागरूकता ही भ्रष्टाचार उन्मूलन की सबसे मजबूत शक्ति*
International Anti-Corruption Day (December 9): Social awareness is the strongest force to eradicate corruption*
(डॉ. राघवेंद्र शर्मा – विनायक फीचर्स)
भ्रष्टाचार किसी भी राष्ट्र की प्रगति को जकड़ कर रखने वाली वह गहरी बीमारी है, जो व्यवस्था की जड़ों को खोखला कर देती है। इसी गंभीर समस्या के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 9 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एक न्यायपूर्ण, पारदर्शी और जवाबदेह समाज का निर्माण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए नागरिकों की सामूहिक प्रतिबद्धता अत्यंत आवश्यक है।
India: अतीत की चुनौतियाँ और बदलाव की दिशा
एक समय ऐसा भी था जब भारत में भ्रष्टाचार को व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा मान लिया गया था। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था कि केंद्र से भेजे गए प्रत्येक 1 रुपये में से गरीब तक केवल 15 पैसे ही पहुँचते हैं। शेष राशि व्यवस्था की जटिलताओं, बिचौलियों और अपारदर्शी तंत्र में खो जाती थी। यह केवल धन की हानि नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के विश्वास से किया गया सबसे बड़ा खिलवाड़ था।

डिजिटल युग में भ्रष्टाचार पर तकनीकी प्रहार
पिछले एक दशक में भारत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ी है। सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और प्रशासनिक सुधारों ने पारदर्शिता को गति प्रदान की है।
प्रमुख बदलाव जो भ्रष्टाचार रोकने में उल्लेखनीय साबित हुए—
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डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): सरकारी धन अब सीधे लाभार्थियों तक पहुँचता है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई।
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डिजिटल सेवाएँ: अधिकांश सरकारी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होने से रिश्वत और सुविधा शुल्क जैसी प्रथाओं पर लगाम लगी।
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GST प्रणाली: कर संरचना में पारदर्शिता आई और टैक्स चोरी के अवसर कम हुए।
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बेनामी संपत्ति अधिनियम और भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून: बड़े आर्थिक अपराधियों पर सख्त कार्रवाई का माहौल बना।
इन सुधारों ने यह संदेश दिया कि कानून का डर और डिजिटल निगरानी, भ्रष्ट तंत्र के लिए बड़ा अवरोध बन सकते हैं।
सामाजिक स्तर पर भ्रष्टाचार: एक मानसिकता जिसे बदलना आवश्यक
भ्रष्टाचार केवल दफ्तरों या फाइलों में नहीं पनपता—यह सोच, व्यवहार और समाज की दृष्टि से भी जुड़ा हुआ है। अक्सर हम व्यवस्था को दोष देते हैं, लेकिन अपनी सुविधा के लिए ‘शॉर्टकट’ लेने में संकोच नहीं करते। ऐसे में यह संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि:
“परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से करें।”
यदि नागरिक रिश्वत देने और लेने दोनों से इनकार करें, तो कोई भी भ्रष्ट तंत्र अधिक समय तक टिक नहीं सकता।
एक भ्रष्टाचार-मुक्त समाज के लिए आवश्यक कदम
भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए देश में ‘जीरो टॉलरेंस’ की मानसिकता को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए समाज और सरकार दोनों को समान रूप से योगदान देना होगा।
भविष्य के लिए कुछ मूलभूत प्राथमिकताएँ—
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परिवार और विद्यालयों में ईमानदारी को सर्वोच्च मूल्य के रूप में स्थापित करना।
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भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले व्हिसलब्लोअर्स को सुरक्षा और सम्मान देना।
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लोक सेवकों में जनता के प्रति जवाबदेही की भावना विकसित करना।
9 दिसंबर: संकल्प का दिन, औपचारिकता का नहीं
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं है, बल्कि देश की प्रगति और विकास के लिए एक मजबूत प्रतिज्ञा का अवसर है। भारत विश्व मंच पर एक उभरती महाशक्ति है—ऐसे में भ्रष्टाचार की बेड़ियाँ हमारे मार्ग में बाधा नहीं बननी चाहिए।सरकार ने पारदर्शी शासन की दिशा में मजबूत ढांचा तैयार कर दिया है; अब इसे सशक्त बनाना समाज की जिम्मेदारी है।
समापन: पारदर्शी भारत ही समृद्ध भारत की नींव
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब 140 करोड़ भारतीय यह निश्चय करें कि न तो वे भ्रष्टाचार का हिस्सा बनेंगे और न ही इसे मौन स्वीकृति देंगे। इस अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर आइए हम सभी यह संकल्प लें—
