“जगतः पितरौ वन्दे पार्वती परमेश्वरौ”

“Jagatah Pitrau Vande Parvati Parmeshwarau”
“Jagatah Pitrau Vande Parvati Parmeshwarau”
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान शिव की अहैतुकी कृपा से श्रावण मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि सोमवार संवत्सर काल संवत् 2081 दिनांक 22 जुलाई 2024 को रामलीला ग्राउण्ड ऐशबाग लखनऊ में प्रातः 11 बजे से 16वां सपादलक्ष रूदाभिषेक (सवालाख रूद्र) 27 चैकियों पर शिव परिवार के साथ 55 सौ रूद्र (प्रत्येक चैकी) पर विराजमान कर शिव भक्तों ने पूजा प्रारम्भ की 


    प्रमुख आचार्य शिवशंकर पाण्डेय  जी ने बताया कि हर-हर महादेव के मंत्र-उच्चारण के साथ भद्रं करणेभिः के मंत्र से अपने 5 सहयोगियों के साथ वैदिक मंत्रों के द्वारा रूद्राभिषेक पूजा प्रारम्भ की जिसमें विभिन्न चैकी पर बैठे 27 ब्राहम्णों ने साथ दिया ऋषिकेश से लाये गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक किया गया साथ में दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, जल, गन्ने का रस, कुशोदक, आदि से भी अभिषेक किया गया।


  ध्यान, आसन, प्राणायाम,पुण्याहवाचन, आवहन के पश्चात् भगवान का षोडसोपचार पूजन किया गया, तत्पश्चात् भगवान का श्रंृगार किया गया। दूध की धार से रूद्राष्टाध्यायी का पाठ प्रारम्भ हुआ जिसमें पंचम अध्याय के 11 पाठ में इसे नमक चमक का पाठ कहते है। तत्पश्चात् स्तुति, आरती, उत्तर पूजन, पूष्पांजलि,अम्रताभिषेक और आचार्यो द्वारा आशिर्वाद प्रदान किया गया।  प्रमुख आचार्य ने रूद्राभिषेक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रूद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक शिव और रूद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची है, शिव को ही रूद्र कहा जाता है क्योंकि रूतम-दुःखम् द्रावयति-नाशयतीतिरूद्रः यानि कि भोले सभी दृःखों को नष्ट कर देते है। हमारे धर्मग्रंथो के अनुसार हमारे द्वारा किये गए पाप ही हमारे दुःखों के कारण है। रूद्राभिषेक से हमारे कुंडली के पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते है और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होता है और सभी मनोरथ पूर्ण होते है, ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रूद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वतः हो जाती है।


आयोजक अमरनाथ मिश्र ने बताया कि हर वर्ष सावन माह में यह एक दिन की पूजा होती है इसमें 27 चैकियां लगायी जाती है जो कि पूर्व से ही यजमानों द्वारा आरक्षित रहती है जिस पर यजमान अपने पूरे परिवार के साथ पूजा करता है। ऋषिकेश से 1000 लीटर गंगाजल मंगाया जाता है जिससे भगवान शिव का अभिषेक होता है। इसकी तैयारी लगभग 20दिन पूर्व से की जाती है। जिसमें मिट्टी लागर रूद्र बनाना, पूजन सामग्री गंगाजल करना आदि सामिल है।  आयोजक हरीशचन्द्र अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण को विशेष घ्यान में रखते हुए रामलीला मैदान में ही गड्ढा खोदकर पूजन सामग्री एवं भगवान की मूर्तियों को विसर्जित किया गया है।


  आज की पूजा के प्रमुख यजमानगण- हरीश चन्द्र अग्रवाल, अमरनाथ मिश्र, राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, अरविन्द तिवारी, उत्कर्ष त्रिपाठी, नीरज मिश्रा लोकेश अग्रवाल अरविन्द पाठक, सुधीर गुप्ता, सूर्यप्रकाश शुक्ला, शिवम बंसल, मंयक मनोचा, विनोद अग्रवाल, वर्षा शर्मा, उज्जवल शुक्ला, अतुल त्रिपाठी, सतीश चन्द्र मिश्र, नरेश कुमार, संजय सोनकर, सत्यकाम मिश्र, अर्चना, दीपक बाजपेई, सीताराम अग्रवाल, आशारानी निगम, प्रीती निगम, देवेश अप्रित अग्रवाल आदि शिवभक्तों ने परिवार के साथ पूजा की।   रामलीला मैदान हर-हर महादेव के मंत्रों से गंूजता रहा और सैकड़ों शिवभक्त पूजा को देखने हेतु उपस्थिति रहे और प्रसाद ग्रहण किया।

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