कांवड यात्रा 31 जुलाई को गंगा जल लेने घटियाघाट जायेगीः आचार्य अशोक

आचार्य अशोक के अनुसार कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात् ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें रमण करे वह कांवड़िया। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए दूर-दराज से आते हैं और अपने आस-पास के स्थानों से गंगा जल भरते हैं, तत्पश्चात् पदयात्रा कर अपने-अपने स्थानों को वापस लौट जाते हैं।इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। फिर उस गंगा जल से अपने के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है,
शिव जी से अपनी और अपनों की सुख शांति की प्रार्थना की जाती है। कहने के लिए तो ये बस एक धार्मिक आयोजन मात्र है, लेकिन इसका सामाजिक और धार्मिक महत्व बहुत है। तथा सामाजिक सरोकार भी है। यूपी में कांवड़ यात्रा एक पर्व कुंभ मेले के समान एक महाआयोजन का रूप ले चुकी है।इस तरह कांवड़ यात्रा की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।उन्होंने सभी शिव उपासकों से 31 जुलाई की भव्य काँवर यात्रा में बड़ी संख्या में सम्मिलित होने का आग्रह किया है।