बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में हिंदी पखवाड़ा २०२४ के अंतर्गत सफलतापूर्वक संपन्न हुआ कवि सम्मेलन
हिंदी पखवाड़ा २०२४ पर्व दिनांक १४ सितम्बर से २६ सितम्बर २०२४ के बीच बीरबल साहनी संसथान में मनाया गया। इस पर्व के दौरान वाद-विवाद, हिंदी टंकड़, टिप्पण, निबंध लेखन एवं साइंस व्याख्यान जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गयी जिसमे संसथान के हिंदी भाषी व अभाषी कर्मचारियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
कवि सम्मेलन में समाज, विज्ञान, पर्यावरण, वीर रस, हास्य रस और जीवन के विविध पहलुओं पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत की गईं, जो श्रोताओं के दिलों को छूने में सफल रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत बीरबल साहनी संस्थान में कार्यरत डॉ पूनम वर्मा, राजभाषा अधिकारी ने कवी सम्मेलन आये सभी कवियों का परिचय देकर किया। संस्थान के निदेशक, प्रो. महेश जी ठक्कर ने कार्यक्रम की शुरुआत अपने स्वागत भाषण से किया, जिसमें उन्होंने हिंदी साहित्य और विज्ञान के बीच के अद्भुत संबंधों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर देश के कई प्रमुख कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी, जिनमें वरिष्ठ हास्य कवि डा सूर्य कुमार पांडे, डा मालविका हरिओम, श्री मुकुल महान, श्री पंकज प्रसून, श्री अभय सिंह निर्भीक और श्री सौरभ जायसवाल शामिल थे। वरिष्ठ हास्य कवि डा सूर्य कुमार पांडे जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उनकी कविताओं ने श्रोताओं को न केवल हसाया बल्कि भावविभोर एवं गहर चिंतन के लिए प्रेरित भी किया।
रानी लक्ष्मीबाई सम्मान से सम्मानित डा मालविका हरिओम जी ने कवी सम्मेलन की आगाज़ मधुर वंदना गीत से किया जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्री मुकुल महान जी लखनऊ में हास्य व्यंग्य की दूसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि रचनाकार हैं। वह हास्य सम्राट की उपाधि से विभूषित हैं और आज के मंच संचालन का दायित्व भी हो उन्हें ही सौंपा गया था जिन्होंने बखूबी निभाया। श्री अभय सिंह निर्भीक रामधारी सिंह दिनकर की परंपरा वाले वीर रस के कवि हैं और उनकी कविता भारत दर्शन बहुत ही उत्साह एवं दर्शिता से सुनी और सराही गयी। श्री पंकज प्रसून और श्री सौरभ जायसवाल जी ने भी दर्शकों को अपने हास्य व्यंग से बहुत हसाया। दर्शकों ने सभी कवियों की प्रस्तुतियों को खूब सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा।
संस्थान के निदेशक प्रो. महेश जी ठक्कर एवं राजभाषा अधिकारी डॉ पूनम वर्मा जी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर खुशी जताई और कहा, "यह कवि सम्मेलन हमारे संस्थान तथा हिंदी पखवाड़ा २०२४ के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन था, जिसने हमें साहित्य और विज्ञान के बीच के अटूट संबंधों को और अधिक गहराई से समझने का अवसर दिया। भविष्य में भी हम इस प्रकार के साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे।"कवि सम्मेलन में उपस्थित श्रोताओं ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे एक यादगार साहित्यिक शाम बताया। कार्यक्रम का आयोजन अत्यंत सफल रहा, जिसमें काव्य प्रेमियों की भारी भीड़ ने हिस्सा लिया और कार्यक्रम का आनंद उठाया।