अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना आपकी सांस की सुरक्षा के लिए पहला कदम है। प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश

Knowing the functioning of your lungs is the first step to protecting your breathing. Prof. (Dr.) Ved Prakash
Knowing the functioning of your lungs is the first step to protecting your breathing. Prof. (Dr.) Ved Prakash

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)”हवा की गुणवत्ता में गिरावट सीओपीडी संकट को बढ़ावा दे रही है - खुलकर सांस लेने के लिए अभी से कदम उठाएं” ”सीओपीडी बढ़ रहा है - बिगड़ती वायु गुणवत्ता इसे एक वैश्विक महामारी में बदल रही है। प्रवृत्ति को उलटने के लिए अभी कार्य करें।“ “अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना आपकी सांस की सुरक्षा के लिए पहला कदम है।”      

प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश            

                               

    वैश्विक व्यापकता- वैश्विक स्तर पर अनुमानत वर्ष 2023 तक लगभग 48 करोड़ लोग सीओपीडी से ग्रसित थे। वर्ष 2050 तक इसका प्रसार 23 प्रतिषत बढ़ने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से लगभग 60 करोड़ लोगो तक पहुंच जाएगी। यह वृद्धि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक रहेगी और विशेषकर पुरुषो की अपेक्षा, महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है।

  वैश्विक बोझ- सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, जो गैर-संचारी रोगों होने वाली मृत्यु दर में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
    अनुमानित रैंकिंग- वर्ष 2030 तक, बढ़ती आबादी, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क के कारण सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बने रहने की उम्मीद है।
    मृत्यु दर- अनुमान 2019 में, सीओपीडी के कारण दुनिया भर में लगभग 32 लाख मौतें हुईं थी।
आयु वितरण- सीओपीडी सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, परन्तु यह वृद्ध आबादी को अधिक रुप से प्रभावित करता है, विशेष रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में यह बीमारी प्रभावित करती है। 
    भारत में 5.5 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। 


    जोखिम कारकों में प्रमुखतः धूम्रपान शामिल है, जो भारत में लगभग 40 प्रतिषत मामलों के लिए जिम्मेदार है। खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन का उपयोग सीओपीडी को बढ़ाता है जैसे विशेष रूप से ग्रामीण घरों में इस्तेमाल होने वाले कंडे, उपलो से होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण सीओपीडी को ग्रासित परिवेष में हाने वाली प्रमुख बीमारी बनाता है।


    वैश्विक जोखिम कारकः दुनिया भर में, सीओपीडी के लगभग एक-तिहाई मामले गैर-धूम्रपान करने वालों में होते हैं, जो अक्सर व्यावसायिक जोखिम जैसे वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कारकों से जुड़े होते हैं।
    आर्थिक प्रभावः अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में, सीओपीडी से जुड़ी प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत सालाना ₹2.65 लाख करोड़ से अधिक है, जो बीमारी के आर्थिक बोझ को उजागर करती है।
ऽ    अज्ञात मामलेः सीओपीडी के मामलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बीमारी के अज्ञात मामले है, जिससे इसकी व्यापकता को कम करके आंका जाता है। इससे प्रारंभिक प्रबंधन में बाधा आती है और उन्नत बीमारी का बोझ बढ़ जाता है।
ऽ    सीओपीडी अक्सर अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे हृदय संबंधी स्थितियां, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ सह-अस्तित्व में रहती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य परिणाम और इस बीमारी का समुचित प्रबंधन जटिल हो जाता है।
सीओपीडी क्या है?


क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक निरंतर बढ़ने वाली बीमारी है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फाइसीमा जैसी स्थितियां शामिल हैं। सीओपीडी वाले लोग अक्सर पुरानी खांसी, सांस की तकलीफ, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। यह बीमारी दैनिक जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती है और अगर ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।


विश्व सीओपीडी दिवस, जो इस वर्ष 20 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा, दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड) द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व सीओपीडी दिवस 2024 का विषय “अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जानें”। इस थीम का उद्देश्य फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने के महत्व पर प्रकाश डालना है, जिसे स्पाइरोमेट्री भी कहा जाता है। स्पिरोमेट्री एक सरल और प्रारम्भिक परीक्षण है जो यह मापता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और बाहर छोड़ सकते हैं। सीओपीडी और फेफड़ों की अन्य स्थितियों के निदान के लिए यह परीक्षण महत्वपूर्ण है।


सी0ओ0पी0डी0 का प्रभाव: 

सी0ओ0पी0डी0 के सामान्य लक्षणों में शामिल हैः


    पुरानी खांसी 
    सांस लेनेे में तकलीफ
    घरघराहट
   सीने में जकडन
    थकान 
    बार-बार श्वसन संक्रमण होना 
    अनपेक्षित वजन घटना 

 दैनिक क्र्रियाकलाप करने में कठिनाई होना।

जैसे-जैसे सी0ओ0पी0डी0 बढता है, लोगों को अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियां करने में अक्सर सांस फूलने के कारण अधिक कठिनाई होती है, चिकित्सा उपचार की लागत के कारण काफी वित्तीय बोझ हो सकता है।
सी0ओ0पी0डी0 के अटैक के समय उन्हें घर पर अतिरिक्त उपचार प्राप्त करने या आपातकालीन देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवष्यकता हो सकती है। गंभीर अटैक जीवन के लिए खतरा हो सकता है।

सी0ओ0पी0डी0 के कारणः


  तम्बाकू धूम्रपानः सिगरेट या बी0डी0 प्राथमिक कारण है।
अप्रत्यक्ष धूम्रपानः धूम्रपान न करने वालों को भी धूम्रपान के संपर्क में आने से सी0ओ0पी0डी0 होने का खतरा होता है।
  व्यावसायिक प्रदूषणः कार्यस्थल के प्रदूषकों और धूल,रसायन और धुएं जैसे उत्तेजक पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सी0ओ0पी0डी0 विकसित होने का खतरा बढ सकता है।
  घर के अंदर वायु प्रदूषण: जलाने के लिए बायोमास ईंधन (गोबर के उपले, कोयला, लकड़ी) के उपयोग से घर के अंदर वायु प्रदूषण हो सकता है, जिसमें सी0ओ0पी0डी0 का खतरा बढ सकता है।
ऽअनुवांशिक (जेनेटिक) कारण: अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी एक दुर्लभ आनुवंषिक स्थिति है जो जल्दी सी0ओ0पी0डी0 की शुरूआत का कारण बन सकती है।
   बार-बार श्वसन संक्रमण: बार-बार श्वसन संक्रमण, विषेष रूप से बचपन के दौरान होने वाले संक्रमण जीवन में बाद में सी0ओ0पी0डी0 विकसित होने का खतरा बढ सकता है।
  खराब सामाजिक - आर्थिक बिमारियां: स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच, और अपर्याप्त पोषण सी0ओ0पी0डी0 के विकास और प्रगति में योगदान कर सकते है।
  पहले से मौजूद श्वसन संबंधी स्थितियाः अस्थमा जैसी पहले से मौजूद श्वसन संबंधी स्थितियों से पीडित व्यक्तियों में सी0ओ0पी0डी0 विकसित होने का खतरा बढ सकता है। 

सीओपीडी का उपचारः

1. ब्रोंकोडाईलेटर्स
2. इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
3. पलमोनरी रिहैबिलिटेषन
4. ऑक्सीजन थेरेपी
5. सर्जरी


आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना कई कारणों से आवश्यक है।शीघ्र पता लगाना- नियमित फेफड़ों के कार्य परीक्षण से सीओपीडी को प्रारंभिक चरण में पकड़ने में मदद मिल सकती है, जब यह सबसे अधिक प्रबंधनीय होता है। बीमारी के पता चलने से शीघ्र समय पर समुचित उपचार किया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और रोग की प्रगति धीमी हो सकती है।रोग की प्रगति की निगरानी करना- जिन लोगों में पहले से ही सीओपीडी की बीमारी का पता है, उनके लिए नियमित स्पिरोमेट्री परीक्षण रोग की प्रगति और उपचार की प्रभावशीलता की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं। देखभाल के बारे यह जानकारी उपयुक्त निर्णय लेने के लिए मदद करती है।

अच्छी जीवनशैली को अपनाकर अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा  सकता है। यदि आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो रही है, तो यह आपको धूम्रपान छोड़ने, फुफ्फुसीय पुनर्वास में संलग्न होने या फेफड़ों के स्वास्थ्य में सहायता करने वाली स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।    स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बेहतर परामर्ष से आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सकती है। 


सीओपीडी पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ₂) जैसे वायु प्रदूषकों के लगातार संपर्क से फेफड़ों में सूजन और क्षति हो सकती है, जिससे इसका खतरा बढ़ जाता है। 
लक्षणों का बढ़ना- खराब वायु गुणवत्ता सीओपीडी के गंभीर रूप को बढ़ावा दे सकती है, जिससे सांस फूलना, खांसी और घरघराहट जैसे लक्षण बिगड़ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ सकती है।
रोग प्रगति- वायु प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सीओपीडी रोगियों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में तेजी से गिरावट आती है, जिससे समय के साथ रोग अधिक गंभीर हो जाता है।
बढ़ी हुई मृत्यु दर- अध्ययनों से पता चला है कि महत्वपूर्ण वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में सीओपीडी रोगियों के बीच मृत्यु दर अधिक है, विशेष रूप से स्मॉग के दौरान।

जीवन की खराब गुणवत्ता- वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी लक्षणों को खराब करता है, शारीरिक गतिविधि को प्रतिबंधित करता है, और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे सीओपीडी वाले व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है।

बायोमास ईंधन एक्सपोजर- कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन के उपयोग (जैसे, लकड़ी, लकड़ी का कोयला और गोबर) से घर के अंदर वायु प्रदूषण सीओपीडी के प्रसार में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।

सी0ओ0पी0डी0 देखभाल में उत्कृटता प्रदान करने में पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की भूमिकाः

हमारे केन्द्र पर सी0ओ0पी0डी0 के लक्षणों वाले मरीजों की पूरी शारीरिक जाॅच कर के बिमारी का निदान और चरण का सटीक मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिये स्पायरोमेट्री, बाडी-प्लेथिस्मोग्राफी डिफ्यूजन स्टडी, फोस्र्ड आॅसिलोमेंट्री (एफ.ओ.टी.), हाई रिजोल्यूसन सी0टी0 स्कैन जैसी अत्याधुनिक सुविधाये है जो बिमारी के शीध्र निदान में मदद करती है। हमारे केन्द्र में आधुनिक वेटींलेटर, वरिष्ठ विषेषज्ञ चिकित्सक एवं प्रषिक्षित नर्सिग स्टाफ से सुसज्जित उत्कृष्ट क्रिटिकल केयर यूनिट (आई0सी0यू0) है। जो सी0ओ0पी0डी0 के गम्भीर अटैक का त्वरित आपातकालीन इलाज प्रदान करने में सक्षम है। हम कड़े संक्रमष नियंत्रण प्रोटोकाल और आई0सी0यू0 स्वच्छता प्रथाओं का पालन करके वेंटिलेटर- सम्बद्ध निमोनिया (वैप) के जोखिम को 10ः से भी कम करने में सक्षमह हुये है, जो कि एक उत्कृष्ट आकड़ा है।


विश्व सी0ओ0पी0डी0 दिवस के अवसर पर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने सी0ओ0पी0डी0 के रोकथाम, उपचार और शीघ्र निदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रेस बातचीत का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश, रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर (डॉ.) राजेंद्र प्रसाद, पी0एम0आर0 विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) अनिल गुप्ता, और रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रो0 आर0ए0एस0 कुषवाहा  सहित प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों ने भाग लिया। पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग से डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ और डॉ. अतुल तिवारी भी उपस्थित थे। चर्चा में सी0ओ0पी0डी0 प्रबंधन में केजीएमयू की पहल, टीकाकरण के महत्व और सी0ओ0पी0डी0 से बचाव पर जोर दिया गया। इस आयोजन ने नैदानिक उत्कृष्टता, सामुदायिक आउटरीच और सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से सी0ओ0पी0डी0 से निपटने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

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