अंकों की गणित व सुनियोजित पाठ्यक्रम का ज्ञान,करेगा प्रैक्टिकल को आसान- डॉ दिनेश कुमार

Knowledge of mathematics of numbers and well-planned syllabus will make practical easier- Dr. Dinesh Kumar
 
अंकों की गणित व सुनियोजित पाठ्यक्रम का ज्ञान,करेगा प्रैक्टिकल को आसान- डॉ दिनेश कुमार
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। यू पी बोर्ड 2024-25 इण्टरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षाओं की तिथि 6 जनवरी से प्रस्तावित हो चुकी हैं,ऐसे में  माध्यमिक विद्यालयों को अपने विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार करना है लखनऊ मण्डल के विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ0दिनेश कुमार ने बताया कि यू पी बोर्ड पाठ्यक्रम में विज्ञान वर्ग के मुख्य विषयों,भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व जीव विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षाओं में 30 नम्बर के प्रायोगिक कार्य दो भागों में पूर्ण किया जाता है, 


परीक्षार्थी अपने तीनों मुख्य विषयों के प्रैक्टिकल कार्य की सरलता को इस प्रकार समझें प्रायोगिक परीक्षा के दोनों भागों को समझने का करें प्रयास तीनों मुख्य विषयों (भौतिक,रसायन व जीव विज्ञान) में एक भाग 15 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन का होता है जो आपके द्वारा पूरे सत्र में किये गए प्रायोगिक कार्यों के सतत मूल्यांकन पर आधारित होता है जो आपके विद्यालय के विषय अध्यापक द्वारा पूर्ण करवा लिया जाता है।दूसरा  भाग 15 अंकों का वाह्य मूल्यांकन (बोर्ड ऑफिस द्वारा नियुक्त वाह्य परीक्षक) द्वारा सम्पन्न किया जाता है,इस पर आपको विशेष ध्यान देकर बहुत ही सरलता से रिवीज़न किया जाना है।


भौतिक विज्ञान

भौतिक विज्ञान के विशेषज्ञ व राजकीय हाईस्कूल सिपाह के प्रधानाचार्य डॉ0अरविन्द कुमार वर्मा बताते हैं कि भौतिक विज्ञान में 15 अंकों के 
वाह्य मूल्यांकन में पांच पांच अंकों के दो प्रयोग करवाये जाते हैं तथा प्रयोग पर आधारित मौखिकी(वॉयवा) पांच अंकों का होता है,इस प्रकार आपके 15 अंकों का वाह्य मूल्यांकन पूर्ण होते हैं,


इन दोनों प्रयोगों में खण्ड "क" से 

समतल दर्पण,उत्तल दर्पण,अवतल दर्पण,उत्तल लेंस,अवतल लेंस,प्रिज़्म एवं प्रकाशिक बेंच का उपयोग कर के प्रकाशिकी (ऑप्टिक्स) से सम्बंधित प्रयोग कर सकते हैं। खण्ड "ख" से मीटर सेतु,विभवमापी,वोल्टमीटर, अमीटर,सेल प्रतिरोध बॉक्स,धारा नियन्त्रक एवं कुंजी की सहायता से विद्युतिकी(इलेक्ट्रिसिटी) के प्रयोग कर सकते हैं।

ये सामग्री सभी भौतिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में आसानी से उपलब्ध रहती है, इनका उपयोग कर के कम समय में सम्बन्धित प्रयोग तथा उनका रिवीज़न कर के अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।रसायन विज्ञान रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ व विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ0दिनेश कुमार बताते हैं कि रसायन विज्ञान प्रैक्टिकल के वाह्य मूल्यांकन के 15 अंक मुख्य रूप से 11 अंकों के तीन प्रयोग व 4 अंकों के मौखिकी (वॉयवा) से पूर्ण होता है,रसायन विज्ञान के तीन प्रयोगों में अब एकल अनुमापन (सिंगल टाइट्रेशन) का ही सरल प्रयोग पाठ्यक्रम में कर दिया गया है,ये 4 अंकों का होता है,पहले ये  द्विअनुमापन (डबल टाइट्रेशन) के रूप में हुआ करता था,


दूसरे प्रयोग में दिए गए अकार्बनिक मिश्रण में अब सिर्फ़ एक अम्लीय व एक क्षारकीय मूलक (एक एसिडिक और एक बेसिक रेडिकल) का ही पहचान करना होता है,ये भी 4 अंकों का होता है, पूर्व के पाठ्यक्रम में दो एसिडिक व दो बेसिक रेडिक्सल्स की पहचान करना होता था जो अधिक समय लेता था।

तीसरे प्रयोग में दिए गए कार्बनिक यौगिक(ऑर्गेनिक कंपाउंड) की पहचान करने का सरल प्रयोग होता है जो 3 अंकों का होता है और ये सभी सामान्य कार्बनिक यौगिक ही होते हैं जो  सभी रसायन विज्ञान प्रयोशालाओं में उपलब्ध होते हैं।
इसके अलावा 4 अंकों का वॉयवा होता है जो परीक्षार्थी के द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट अथवा उनके द्वारा पढ़े हुए थ्योरी पर आधारित होता है।इस तरह रसायन विज्ञान के प्रयोग हेतु सामान्य  उपकरण और अभिकर्मक आसानी से सभी माध्यमिक विद्यालयों में उपलब्ध होते हैं।

जीव विज्ञान


जीव विज्ञान की विशेषज्ञ व जी जी आई सी सरोसा भरोसा लखनऊ की प्रवक्ता 

 दीप्ति विश्वकर्मा बताती हैं कि इंटरमीडिएट जीव विज्ञान प्रयोग में वाह्य मूल्यांकन के 15 अंकों के लिए मात्र दो प्रयोग क्रमशः 5 व 6 अंकों के तथा सत्रीय कार्य व वॉयवा के 4 अंक निर्धारित हैं।पांच अंकों के प्रथम प्रयोग में परागकण के अंकुरण की अस्थाई स्लाइड निर्माण करने का प्रयोग होता है,जिसकी सामग्री सभी जीव विज्ञान लैबों में होती है।6 अंकों के दूसरे प्रयोग में स्पॉटिंग होती है जिसमें तीन अंक रखे गए जन्तु की पहचान व तीन अंक रखे गए वनस्पति की पहचान करने से सम्बंधित होता है।4 अंक सत्रीय कार्य व वॉयवा के लिए निर्धारित हैं, जो परीक्षार्थी द्वारा अपने द्वारा बनाये गए रुचिकर प्रोजेक्ट पर आधारित हो सकता है। तो इस प्रकार विज्ञान वर्ग के तीनों मुख्य विषयों के प्रायोगिक कार्य परीक्षार्थियों द्वारा बहुत ही आसानी से रिवाइज़ करते हुए सम्पन्न किये जा सकते हैं।


डॉ0दिनेश कुमार बताते हैं कि प्रत्येक परीक्षार्थी को अपने प्रायोगिक विषय (भौतिक,रसायन व जीव विज्ञान) के अपने सबसे रुचिकर शीर्षक का ही प्रोजेक्ट तैयार करना चाहिए जिससे उनके वॉयवा में पूछे जाने वाले प्रश्नों में अधिकतम उत्तर उनके द्वारा सही दिये जा सकें।डॉ0दिनेश कुमार,मण्डलीय विज्ञान प्रगति अधिकारी, लखनऊ मण्डल ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज के वर्तमान एन0सी0ई0आर0टी0 पाठ्यक्रम में विज्ञान वर्ग के सभी प्रायोगिक कार्य इतने सुगम कर दिए गए हैं जिनमें उपयोग किये जाने वाले उपकरण,अभिकर्मक व सामग्री प्रयोगशालाओं में आसानी से उपलब्ध किये जा सकते हैं।

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