lal Quila Delhi Danga -Expose ही हो गए किसान आंदोलन के नाम पर दंगाई

lal Quila Delhi Danga -Expose ही हो गए किसान आंदोलन के नाम पर दंगाई

Lal Quila danga News आखिरकार किसान आंदोलन के नाम पर 2 महीने से देश मे हाई क्लास प्रदर्शन करने आखिर वो लोग एक्सपोज़ हो गए जो इस आंदोलन के पीछे थे और जो तस्वीर सामने आ गई है और इस आंदोलन के पीछे किस मंसूबे को पालकर और कौन लोग इस आंदोलन को चला रहे थे

किसान आंदोलन के पीछे कौन

किसानों के समर्थन में किसानों को आगे रखकर अपना एजेंडा चलाया जा रहा था यहां तक की अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान समर्थक जो थे उन्होंने पहले भी ऐलान कर दिया था कि लाल किले पर खाली स्थान का झंडा फहराया जाएगा और आज जो कुछ भी हुआ उसमें लोकतंत्र में जो कुछ भी किया उसमें पुलिस के ढेर की तारीफ की जानी चाहिए क्योंकि पुलिस में अपना आपा नहीं खोया वरना अगर पुलिस अपना आपा खो दी तो एक बहुत बड़ा संघर्ष हो सकता था लेकिन जो किसान आंदोलन के नाम पर जो कुछ दंगाई और उपद्रवी घुसे थे उनको सबक सिखाना भी जरूरी है और अब यह भी मांग उठ रही है कि जिन लोगों ने तोड़फोड़ की उनसे भरपाई की जानी चाहिए वसूली की जानी चाहिए और यहां तक मांग की जा रही कि जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में दंगाइयों के द्वारा किया जाता पब्लिक प्रॉपर्टी किया गया था उसकी भरपाई उन्हीं दंगाइयों से किया जाना चाहिए क्योंकि सारे वीडियो फुटेज हैं और पुलिस की एक्शन लिया जाएगा ।

किसान आंदोलन के नाम पर प्रदर्शनकारियों ने किया उपद्रव जिस बात की आशंका व्यक्त की जा रही थी आज उन्हीं तस्वीरों ने 72वें गणतंत्र दिवस को फीका कर दिया. दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के नाम पर आज जो अराजकता देखने को मिली उससे पूरा देश स्तब्ध हो गया. किसानों के नाम पर देश की राजधानी में सरकारी सम्पत्ति का नुकसान किया गया तो पूरी राजधानी को डंडे को जोर पर बंधक बनाने की कोशिश की गई, हालांकि दिल्ली पुलिस ने बहुत संयम का परिचय दिया लेकिन फिर भी अराजकता का जो तांडव हुआ उसे माफ करना मुश्किल है. किसान नेताओं ने इस हिंसा से खुद को अलग करने की कोशिश की लेकिन इन्ही नेताओं ने इस मार्च को निकालने की जो जिद पकडी थी उसी का ये नतीजा है कि आज दिल्ली में कोहराम मचा रहा.

72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर एक ओर दिल्ली के राजपथ पर देश के जवान तिरंगे को हाथ में लेकर देश पर जीने मरने का संकल्प ले रहे थे, वहीं दिल्ली के दूसरे हिस्से में हमारी सबसे बड़ी राष्ट्रीय धरोहर और स्वतंत्र भारत गणतंत्र भारत के प्रतीकों में से एक लाल किले पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने जो कुछ किया, उससे न केवल देश का अपमान हुआ बल्कि गणतंत्र का उत्सव मना रहे देश में मायूसी भी छा गई.

किसान आंदोलन के नाम पर कुछ अराजक तत्व लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए और ठीक उस जगह पर एक झंडा और किसान संगठनों के झंडे लगा दिए जहां, हर साल आजादी के पर्व पर पूरी शान से तिरंगा फहरता है.

देश को शर्मसार करने वाली इस करतूत पर हम आपको विस्तार से बताएं उससे पहले आपको दिखा देते हैं, ट्रैक्टर रैली की कुछ तस्वीरें जिसने शांतिपूर्ण आंदोलन के दावों और वादों की कलई खोल दी. पथराव, नारेबाजी तोड़फोड़, आगजनी और गुंडागर्दी का गवाह बनी दिल्ली. दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे हो, अक्षरधाम का इलाका हो, दिल्ली पुलिस मुख्यालय आईटीओ का इलाका हो, मुकरबा चौक हो, नांगलोई हो करनाल बाइपास हो टीकरी बार्डर हो फरीदाबाद हो या फिर मयूर विहार हर जगह किसान संगठनों के कुछ लोगों ने जो हंगामा काटा कि गणतंत्र के पर्व पर गणतंत्र को ही शर्मसार किया. हाथों में रंग-बिरंगे झंडों में बीच कुछ हाथों में तिरंगे ज़रूर दिखे लेकिन तिरंगे की आन-बान-शान को चोट पहुंचाने की भरसक कोशिश की.

सबसे पहले बात करें दिल्ली गाजियाबाद सीमा पर स्थित गाजीपुर बार्डर की. किसानों ने गणतंत्र दिवस की परेड खत्म होने के बाद ट्रैक्टर मार्च निकालने का वादा किया था लेकिन समय से पहले ही ट्रैक्टर मार्च शुरू कर दिया. गाजीपुर बार्डर से किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ते गए और पुलिस ने जो रूट दिया उसे भी फॉलो नहीं किया.

गाजीपुर से निकले प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने पांडव नगर के पास रोकने की कोशिश की तो बैरीकोड तोडा और पुलिस पिकेट पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की. कुछ उपद्रवियों ने तलवार से पुलिसकर्मियों पर हमले की कोशिश की. इसके बाद पुलिस को धता बताकर ये प्रदर्शनकारी आगे बढ गए.

प्रदर्शनकारी जब अधरधाम मंदिर के पास से दिल्ली की ओर बढने की कोशिश कर रहे थे तो वहां भी पुलिस ने बैरीकेड लगाकर रोकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने और आईटीओ की ओर बढे.

अराजक तत्वों ने आईटीओ पहुंचने के बाद लुटियन दिल्ली और इंडिया गेट की ओर बढ़ने की कोशिश पर पुलिस के साथ भिड़ंत हुई. पुलिस ने रोका तो इन लोगों ने जमकर बवाल काटा. प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह तोड़फोड़ की. ट्रैक्टरों को लेकर दुर्भावना के साथ सड़कों पर जमकर उधम मचाया.

एक वीडियो में आईटीओ के पास ही एक प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर पुलिस पर चढ़ाने की कोशिश करता दिख रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे पुलिस की ओर एक प्रदर्शनकारी तेज गति में ट्रैक्टर चलाकर आता है, मानो वो पुलिसवालों पर ही चढ़ा देना चाहता हो. प्रदर्शनकारियों ने बैरीकेड के लिए लगाई गयी डीटीसी की बसों को ट्रैक्टरों से टक्कर मार मारकर हटा दिया और जमकर तोड फोड की.

भारी संख्या मे प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर और अन्य गाडियां लेकर लाल किले के पास पहुंच गए . बवाल करते हुए बडी संख्या में प्रदर्शनकारी लाल किले में घुस गए. यहीं से आई देश को सबसे ज़्यादा दुःख पहुंचाने और परेशान करने वाली तस्वीर. सैकड़ों लोग प्राचीर तक पहुंच गए और यहां ठीक उस जगह पर कुछ झंडे लगा दिए जहां, हर साल 130 करोड़ भारतीयों की आशा-आकांक्षायों को नई उड़ान के साथ, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानियों के स्वाभिमान की बुलंदी के साथ प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं. पुलिस उपद्रवियों और अराजक तत्वों को समझाने का प्रयास करती रही लेकिन सब-कुछ बेअसर, हालांकि बाद में पुलिसकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया.

समाचार द्वारा बताया गया है कि उपद्रवियों ने अराजकता और पूरी तरीके से कर दी और ट्रैक्टर प्रदर्शन के नाम पर पहले ही कटे हुए और उसके बाद में बैरिकेडिंग जो लगी थी उस को तोड़ते हुए पुलिस से संघर्ष की स्थिति को बनाते हुए आंदोलन किया और भरपूर अराजकता की और पुलिस में केवल आंसू गैस का इस्तेमाल किया और पुलिस को दंगाइयों ने घेर कर उनको क्षति पहुंचाने की कोशिश की।

सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे कुछ समूह ट्रैक्टर रैली के समय से पहले ही पुलिस के अवरोधकों को तोड़कर दिल्ली में दाखिल हो गए. इसके बाद ये काफी समय तक मुकरबा चौके पर बैठे, लेकिन फिर उन्होंने वहां लगाए गए बैरिकेड और सीमेंट के अवरोधक तोड़ने की कोशिश की. इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. कुछ समूह माने नहीं और पुलिस के अवरोधक तोड़ कर आउटर रिंग रोड की ओर बढ़ने लगे. पुलिस की गाड़ियों और DTC की बसों के शीशे तोड़ दिए गए.

कंगना राणावत ने कहा है कि जो कुछ भी आज हुआ है उससे देश शर्मसार हुआ है और उन्होंने दंगाइयों से कहा कि यही चाहते थे ना अब लोग हंस रहे हैं।



कुछ यही हाल नांगलोई का था जब प्रदर्शनकारियो ने जमकर बवाल काटा. ऐसा लग रहा था कि ट्रैक्टर परेड अब हुड़दंग और भीड तंत्र में बदल गया है. पुलिस की बातों को न सुनते हुए और बैरीकेड तोडते हुए किसान अपने मर्जी के रुट पर बढने लगे. नांगलोई में प्रदर्शनकारियो को रोकने के लिए पुलिस सड़क पर बैठ गई. इनमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं.

करनाल बाईपास पर भी कुछ ऐसा ही नजारा था और प्रदर्शनकारियों ने बैरीकेड तोडकर हंगामा किया.

दिन भर चले हंगामे के चलते दिल्ली के तमाम इलाकों में कई मेट्रो स्टेशनों पर एंट्री और एगजिट रोकनी पड़ी. तनाव बढ़ता देख कुछ इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया गया है देर शाम तर हंगामा चलता रहा और उसके बाद हालात सामान्य हुए. लेकिन शांतिपूर्व प्रदर्शन का दावा करने वाले किसान सगंठनों के दावे की कलई जिस तरह खुली वो ना तो देश के लिए ही सुखद रहीं और ना ही किसानों के लिए ही. सेना और पुलिस में अपने ही परिजनों के होने का दावा करने वाले उपद्रवियों ने अपने की संविधान और क़ानून की मर्यादा को तार-तार किया.



वहीं बात पर भी हो रही है कि लाल किले पर जो झंडा फहराया गया वह कैसा झंडा था कुछ तो द्वारा बताया जा रहा है कि यह खालिस्तानी झंडा था जबकि कुछ चर्चा यह हो रही है कि यह निशान साहिब का झंडा था जो कि किसी भी गुरुद्वारे पर सिख धर्म में इसके प्रति काफी आस्था है और किसी भी गुरुद्वारे में इसको फहराया जाता है जबकि ट्विटर पर जारी फोटो में यह भी दिखाएगा कि कुछ दिनों पहले कुछ लोगों के द्वारा यही झंडा भारतीय राजदूत दूतावास पर भी फहराया गया था जिसमें खाली स्थान के बारे बातें कहीं गई थी ।



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