लाइसेंस प्रक्रिया बिना चढ़ावा चढ़ाये पूरी नहीं होती: व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा

The license process is not complete without offering bribe: Business leader Amarnath Mishra
 
The license process is not complete without offering bribe: Business leader Amarnath Mishra
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। अमर नाथ मिश्र अध्यक्ष लखनऊ व्यापार मंडल ने कहा कि केंद्रीय बजट में व्यापारियों को तो बहुत कुछ आशा है मगर विगत वर्षों को देखते हुए सरकार अपने वफ़ादार वोट बैंक की लगातार अवहेलना कर रही है।
सरकार का यह कहना कि वह सब कुछ ऑनलाइन कर रही है और इस ऑफ़ डूइंग बिज़नेस कर रही है लेकिन इसके विपरीत यदि आप दवा की दुकान करते हैं तो आपको 1 ड्रग लाइसेंस लेना है और यदि आप फ़ूड सप्लीमेंट उसमें बेचते हैं जो कि डॉक्टर साथ साथ दबा के लिखते हैं तो आपको अलग से फ़ूड डिपार्टमेंट में रजिस्ट्रेशन कराना है जबकि दोनों के कागज़ एक ही लगते हैं और प्रक्रिया भी एक है तो क्या दिक़्क़त है कि ड्रग लाइसेंस में जो की ऑनलाइन भरा जाता है एक विकल्प  हो के आप फूड का भी लाइसेंस उसी में प्राप्त कर सकते हैं


मगर वर्षों के बाद तमाम प्रत्यावेदन देने के बावजूद आज तक सरकार ने यह नहीं किया यह चाहिए कि जिन वस्तुओं पर भी फ़ूड लाइसेंस आवश्यक है उसमें से तमाम को मंडी लाइसेंस लेना पड़ता है तमाम को आपका भी लाइसेंस लेना पड़ता है तमाम को ड्रग लाइसेंस लेना पड़ता है तो क्यों नहीं उसी पोर्टल पर फ़ूड लाइसेंस का ऑप्शन हो इस तरह 2 बार व्यापारी का उत्पीड़न नहीं होगा क्योंकि लाइसेंस प्रक्रिया बिना चढ़ावा चढ़ाये पूरी नहीं होती


तमाम प्रत्यावेदन के बावजूद GST की धारा 16 चार c  के अनुसार यदि विक्रेता फ़ॉर्म  टैक्स नहीं जमा करती तो क्रेता को उपरोक्त टैक्स ब्याज सहित अदा करना होता है यहाँ पर यह प्रश्नों के पंजीकरण किसने दिया फिर ईविल जनरेट कैसे हुआ फिर ट्रांसपोर्ट के भाड़े पर भी विभाग ने rcm दिया उसके बावजूद यदि आप विक्रेता रिटर्न नहीं डालता और कर नहीं जमा कर रहा तो ज़िम्मेदारी है क्रेता कि कैसे जबकि क्रेता ने बैंक से पैसा दिया ट्रांसपोर्ट की बिल्टी पर भाड़ा दिया उस भाड़े पर टैक्स दिया और विक्रेता ने चार माह यह साल भर रिटर्न नहीं भरा तो सरकार का ऑनलाइन पोर्टल क्या  कर रहा था 


ज़िम्मेदारी पंजीकरण देने वाले अधिकारी के होनी चाहिए विभाब की होनी चाहिए व्यापारी की नहीं यह एक तरीक़े का इंस्पेक्टर राज है। सरकार ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों आरक्षण की व्यवस्था की है जिसमें उसकी आय की सीमा आठ लाख रुपया है तो फिर व्यापारी के लिए ये दुराभाव क्यों 10, लाख रुपये तक आय कर मुक्त होनी चाहिए सभी देशवासियों के लिएविदेशों की भाँति  करदाता को शिक्षा एवं चिकित्सा फ़्री होनी चाहिएँ सात साल होने के बावजूद GST ट्रिब्यूनल की स्थापना नहीं हो सकी तो सरकार ये कैसे समझ सकती है कि व्यापारी के गलती पर उससे अर्थदंड लिया जाए जबकि यह सब रिकॉर्ड में है कि तीन साल आपका पोर्टल ढंग से नहीं चल पाया आज भी उसमें प्रॉब्लम है उसका अर्थदंड कौन देगा।  कहा तो ये था की कागज़ों के मायाजाल से व्यापारी को मुक्त करेंगे और कहा इंस्पेक्टर राज्य में फँसा के रख दिया है।

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