लोहिया संस्थान ने नवनियुक्त निदेशक प्रो० (डॉ०) सी० एम० सिंह के नेतृत्व में अनियंत्रित रक्तचाप के खिलाफ बजाया बिगुल; छेड़ा जागरूकता अभियान
इस मौके पर निदेशक प्रो० (डॉ०) सी० एम० सिंह ने बताया कि भारत ने 2025 तक उच्च रक्तचाप (बढ़ा हुआ रक्तचाप) के प्रसार में 25% सापेक्ष कमी लाने का लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार ने भारत में उच्च रक्तचाप से पीड़ित 22 करोड़ से अधिक लोगों के लिए उपचार सेवाओं तक पहुँच को बढ़ाने के लिए भारतीय उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (इंडियन हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव - आईएचसीआई) की शुरुआत करी है। नवंबर 2017 में प्रारंभ करी गई यह एक 5-वर्षीय पहल है, जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राज्य सरकारें और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय शाखा शामिल हैं।
कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ० भुवन चंद तिवारी ने बताया कि भारत में उच्च रक्तचाप से पीड़ित केवल 12% लोगों का रक्तचाप नियंत्रण में है। अनियंत्रित रक्तचाप हृदय संबंधी बीमारियों (CVD- कार्डियो वैस्कुलर डिज़ीज़ और सेरेब्रो वैस्कुलर एक्सीडेंट्स) जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए मुख्य जोखिम कारकों में से एक है, और यह भारत में कुल मौतों के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है।
कार्डियोवैस्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो० (डॉ०) ए० पी० जैन ने बताया कि विश्वव्यापी स्तर पर उच्च रक्तचाप दुनिया भर में 3 में से 1 वयस्क को प्रभावित करता है। यह आम, घातक स्थिति स्ट्रोक, दिल का दौरा, हार्ट फैलियर, गुर्दों की क्षति और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है।
भारत में, राष्ट्रीय स्तर पर, 4 में से 1 से अधिक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, तथा संचयी रूप से, उच्च रक्तचाप से पीड़ित 90% से अधिक वयस्कों में या तो इसका निदान नहीं हो पाता है, अथवा उनका उपचार नहीं हो पाता है, या फिर उनका उच्च रक्तचाप उपचारित तो हुआ रहता है, लेकिन नियंत्रित नहीं हो पाता है।