कृतिकार माधुरी "महाकाश" की दो पुस्तकों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो० हरि शंकर मिश्र ने लेखिका को बधाई देते हुये कहा कि माधुरी जी के कार्यक्रम में उनकी दो कृतियों के लोकार्पण में पुनः उपस्थित हूँ। मैं उनकी इन सुंदर कृतियों के लिए बहुत बधाई देता हूँ। हाल ही लेखिका की दो पुस्तकें शकुंतला "माटी अक्षयवट की" एवं महालय प्रकाशित हो चुकी है।
विशिष्ट अतिथि प्रभु नारायण, जो पूर्व अवध प्रान्त संघ चालक हैं, उन्होंने अपने सारगर्भित उद्बोधन द्वारा विषय की गंभीरता को समझाया। कृतिकार माधुरी महाकाश ने अपनी कृति के माध्यम से गुरु शिष्य सम्बन्धों के विषय में बताया इन पुस्तकों की विशेषता बताते हुये विशिष्ट ने माधुरी को एक कुशल गृहिणी के साथ साथ लेखन की रुचि हेतु उनकी प्रशंसा भी की ।
अंत में प्रो हरि शंकर गुप्त अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने उपस्थित लोगों का आभार ज्ञापित किया ।इस अवसर पर अनेक गणमान्य साहित्यकार व विद्वान उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से आचार्य ओम नीरव जी , आचार्य केसरी प्रसाद शुक्ल, कथाकार शिवमूर्ति जी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महानगर अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त आदि तथा अपार जनसमूह के बीच कवियत्री राधा बिष्ट, दिनेश सिंह, श्री कृष्ण जनकल्याण समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी एवं महासचिव दिलीप मणि, राजेन्द्र सिंह कनवाल, अच्युतानंद यादव, विनीता नेगी, सुनीता कनवाल, पुष्पा चौधरी, रेखा सिंह, दिनेश प्रसाद सिंह, हर्ष वर्धन मणि आदि उपस्थित रहे ।