सम्राट विक्रमादित्य के यशस्वी इतिहास को पुनर्जीवित कर रही है मध्यप्रदेश सरकार
Wed, 22 Oct 2025

लेखक: अशोक मनवानी | स्रोत: विभूति फीचर्स
भारतीय इतिहास में ऐसे अनेक शासक हुए हैं जिनकी न्यायप्रियता, पराक्रम और सांस्कृतिक योगदान ने उन्हें अमर बना दिया। सम्राट विक्रमादित्य इन्हीं में से एक थे — एक ऐसे शासक जिन्होंने न केवल विक्रम संवत का शुभारंभ किया बल्कि भारतीय समय-गणना, न्याय व्यवस्था और वीरता की मिसाल कायम की।
आज एक बार फिर मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों से सम्राट विक्रमादित्य के गौरवपूर्ण इतिहास को राष्ट्र के समक्ष लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलों की शुरुआत की है, जो न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक मजबूत कदम हैं।
सम्राट विक्रमादित्य को समर्पित पहलें
विक्रमोत्सव की स्थापना
हर वर्ष आयोजित होने वाला विक्रमोत्सव अब राज्य की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। यह आयोजन सम्राट विक्रमादित्य की स्मृति को जीवंत बनाए रखने और नई पीढ़ी को उनके योगदान से अवगत कराने का प्रयास है।
विश्वविद्यालय का पुनर्नामकरण
पूर्व में "विक्रम विश्वविद्यालय" के नाम से जाना जाने वाला संस्थान अब सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय बन चुका है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में उनका नाम और प्रभाव और अधिक सशक्त हुआ है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी
मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की स्थापना एक सांकेतिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक सोच का उदाहरण है, जो भारतीय समय-गणना की महत्ता को दर्शाता है।
सरकारी कैलेंडर में विक्रम संवत का समावेश
अब मध्यप्रदेश के शासकीय कैलेंडरों में विक्रम संवत का उल्लेख भी नियमित रूप से होता है, जो सांस्कृतिक स्वाभिमान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य
वर्ष 2025 के अप्रैल माह में नई दिल्ली स्थित ऐतिहासिक लाल किला पर तीन दिवसीय "सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य" का भव्य मंचन हुआ। यह न केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति थी, बल्कि युवाओं को भारतीय इतिहास से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी बना।
भव्य मंच सज्जा, पारंपरिक वेशभूषा, शौर्यपूर्ण संवाद और जीवंत अभिनय के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य के युग को पुनर्जीवित किया गया। हाथी-घोड़ों की मौजूदगी और सैकड़ों कलाकारों की सहभागिता ने इस प्रस्तुति को अविस्मरणीय बना दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नाट्य कला के माध्यम से रंगमंच की शक्ति और शिक्षा के साथ उसके गहरे संबंध को राष्ट्र के समक्ष स्पष्ट किया है। इस डिजिटल युग में भी रंगमंच को पुनर्जीवित करने का यह प्रयास युवाओं को भारतीय इतिहास, संस्कृति और कलाओं से जोड़ने में सफल रहा है।
राष्ट्र स्तरीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान की शुरुआत
सम्राट विक्रमादित्य की विरासत को सम्मान देने हेतु मध्यप्रदेश सरकार ने कई स्तरों पर सम्मान योजनाएं प्रारंभ की हैं:
3 राज्य स्तरीय पुरस्कार (प्रत्येक ₹5 लाख)
राष्ट्रीय स्तर पर ₹21 लाख का सम्मान
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ₹1.01 करोड़ की पुरस्कार राशि वाला विक्रमादित्य सम्मान
ये सभी पुरस्कार उन व्यक्तियों को समर्पित हैं जो सुशासन, शौर्य और सांस्कृतिक मूल्यों के संवाहक हैं।
राजा भोज और अन्य महापुरुषों के लिए भी मंच तैयार
लाल परेड मैदान, भोपाल में सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित नाटक के अलावा भविष्य में राजा भोज, सम्राट अशोक, भगवान राम, भगवान कृष्ण और भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर आधारित महानाट्य भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इससे इतिहास को केवल पाठ्य पुस्तकों तक सीमित न रखते हुए रंगमंच के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के "विरासत से विकास" विज़न की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "विरासत से विकास" संकल्प को धरातल पर उतारने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार का यह प्रयास उल्लेखनीय है। मोदी जी की मंशा है कि युवा वर्ग इतिहास, स्मारकों और संस्कृति से जुड़कर देश की अस्मिता को पुनः जागृत करें। यह रंगमंचीय नवाचार उसी दिशा में एक ठोस कदम है।
रंगमंच को नया जीवन
देशभर के रंगकर्मी और कलाकार इस पहल से उत्साहित हैं। न केवल उन्हें प्रदर्शन का एक बड़ा मंच मिला है, बल्कि कला को भी राज्याश्रय प्राप्त हुआ है। रंगमंच को नई पहचान और ऊर्जा मिली है, जो आने वाले वर्षों में कई सांस्कृतिक आंदोलनों का आधार बन सकती है।

