एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर सभागार में पण्डित बिरजू में महाराज सांस्कृतिक कार्यक्रमों आयोजन किया गया
कार्यक्रम का शुभारंभ क्लब अध्यक्ष प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय,मुख्य वक्ता कथक गुरु हर्षिता चौहान व क्लब प्रभारी प्रो0 रेखा विश्वकर्मा ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। विद्यार्थियों को कथक की विधिवत जानकारी देते हुए मुख्य वक्ता हर्षिता चौहान ने कहा कि कथक उत्तर प्रदेश का एक शास्त्रीय नृत्य है। कथक नृत्य में एक पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत है
जो इसे भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली का दर्जा देती है। कथक से जुड़े तकनीकी और सौंदर्य संबंधी पहलुओं को मौखिक परंपरा के रूप में पीढ़ियों तक मौखिक रूप से पारित किया गया है। भारत के अधिकांश कला रूपों की तरह, कथक गुरु-शिष्य परंपरा या शिक्षक-शिष्य परंपरा पर पनपता है।उन्होंने बताया कि कथक शब्द वैदिक संस्कृत शब्द 'कथा' से लिया गया है जिसका अर्थ है "कहानी", और कथकर जिसका अर्थ है "वह जो कहानी कहता है"। घूमते कथाकार या घुमंतू गायक नृत्य, गीत और संगीत के माध्यम से हमारे प्राचीन महाकाव्यों और पौराणिक कथाओं से प्रेरित कहानियाँ सुनाते हैं।
कथक कलाकार सुंदर हाथों की गतिविधियों, व्यापक फुटवर्क, लचीली शारीरिक गतिविधियों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से तीव्र चेहरे की अभिव्यक्तियों के माध्यम से कहानियों का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत कर विद्यार्थियों को कथक नृत्य की बारीकियों से परिचित कराया गया।प्राचार्य प्रो0 पाण्डेय ने कल्चरल क्लब की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से विद्यार्थियों को अपने विरासत को जानने का अवसर प्राप्त होगा। क्लब प्रभारी प्रो0 रेखा विश्वकर्मा ने सभी का स्वागत किया। समन्वयक डॉ अनामिका सिंह व कोषाध्यक्ष डॉ स्वदेश भट्ट ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। क्लब के सचिव लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए कथक गुरु का परिचय दिया। इस अवसर पर डॉ बीएल गुप्त,डॉ एस के त्रिपाठी, डॉ वंदना सिंह,डॉ सुनील कुमार शुक्ल व मणिका मिश्रा सहित भारी संख्या में छात्र-छात्रएं मौजूद रहे।