मनुष्य की बुद्धि परमात्मा में लग जाए,यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए

Man's intellect should be focused on God, this should be the aim of life
Man's intellect should be focused on God, this should be the aim of life
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।प्रियदर्शनी कॉलोनी सेक्टर बी भागवत पार्क  में आयोजित  श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम में  आचार्य श्री संतोष भाई जी ने आज कथा के चौथे दिन बताया कि मनुष्य की बुद्धि परमात्मा में लग जाए यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

आचार्य संतोष भाई जी ने बताया किभक्ति जीव को विनम्र बनाती है, जीव के अन्दर के ताप को समाप्त करती है। जिस जीव पर ईश्वर की कृपा हो जाती है उसका प्रमाण यह मिलता है कि उस जीव पर सब कृपा करने लग जाते हैं। भगवान जब स्वयं भक्त के हो जाते हैं तो संसार भक्त के नाम को मन्त्र के रूप में जपने लगता है। 


 हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से व्यथित होकर भगवान ने भक्त प्रह्लाद को दर्शन दिए पिता हिरण्य कश्यप उसे भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकते हैं। उसकी भक्ति के मार्ग में कई तरह की बाधाएं डालते हैं, जबकि सत्य जान चुका प्रह्लाद अपने मार्ग पर यथावत चलता रहता है। किसी भी बाधा से विचलित न होने वाले प्रह्लाद अपने ही पिता भाव कि असत्यता के विरुद्ध एक क्रांति का बिगुल बजा देता है।


गजेन्द्र मोक्ष की कथा का वर्णन करते हुए  महाराज जी ने कहा कि गजेन्द्र की कथा कोई हांथी की कथा नहीं है । यह हर मानव जीवन की कथा है। हांथी एक सरोवर में स्नान करता है। उसमें रहने वाला काल रूपी ग्राह उसके पैरों को पकड़ लेता है । हाथी अपनी तरफ खींचता है और ग्राह अपनी तरफ हांथी अपने परिवार के पत्नी, बच्चों को सहायता के लिये पुकारता है लेकिन कोई मदद नहीं करता।इसी तरह मनुष्य संसार रूपी सरोवर में स्नान करता रहता है । एक दिन काल पैरों को पकड़ता है । कोई परिवार नहीं बचा पाता । तभी ईश्वर की याद आती है । ईश्वर ही रक्षा कर सकता है । समुद्र मंथन की कथा का वर्णन किया।


बावन अवतार की कथा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा कि राजा बलि से नामक भगवान ने तीन पग पृथ्वी मांग कर उसके अभिमान को भी नाप लिया । राम के अवतार का वर्णन करते हुए बताया कि राम शब्द जो रा में जब बोलते हैं मुंह खुलते ही पाप बाहर निकलता है । म में ओंठ बंद होता है । पाप दुबारा अंदर नहीं जाते । रामावतार हमें जीवन जीना सिखाता है अर्थात रामायण और भागवत हमारे जीवन मृत्यु को सुधारती है ।इसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण चराचर जगत के स्वामी है भगवान श्री कृष्ण वसुदेव के सिर के ऊपर आए तो उनके हथकड़ी और बेडी के जो बंधन थे वो कट गए गोकुल भक्ति करने का स्थान है मथुरा भोगियों की राजधानी भगवान भक्ति करने के स्थान पर चले गए मार्ग में उन्हें भक्ति रूपी यमुना महारानी का दर्शन हुआ गोकुल में भगवान के भक्त उन के स्वागत में तैयार थे भगवान श्री कृष्णा आधी रात को मां यशोदा के पास पहुंच गए।
 प्रातः काल सुनंदा को दर्शन दिया सुनंदा ने नंदबाबा को बताया


नन्द बाबा ने सब गोकुलवासियों के साथ मिलकर नंदोत्सव मनाया।आज बड़े धूमधाम से भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया नंद घरआनंद भयो जय कन्हैया लाल की यशोदा के लाला भयो जय हो गोपाल की इस कीर्तन पर सभी भक्त जमकर नाचे भगवान श्री कृष्ण की सुंदर झांकी बनाई गई मखाना टॉफी फूल गुब्बारे लुटाए गए।


इस अवसर पर मुख्य रुप से रेखा श्रीवास्तव, सुशील मोहन शर्मा,गणेश अग्रवाल,धर्म देव सिंह,अजीत सिंह सोनी,निर्देश दीक्षित,नंद लालजी,जितेन्द्र सिंह ,इंद्र प्रकाशजी,उमा प्रसाद पांडे,मुदित मिथलेश श्रीवास्तव,सुधा पाठक,घनश्याम त्रिपाठी,संजीव श्रीवास्तव,तनय सोनी,अथर्वराज मिश्रा, अनुज सिंह,ममता सिंह,निर्मला वर्मा,ऋचा सचान,आदि अनेकानेक भक्तोंने भवन के जनम दिवस पर खूब निरित्य कर उत्साहित हुए।

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