मेदांता, लखनऊ ने घुटने के प्रत्यारोपण पर कार्यशाला का किया आयोजन

Medanta, Lucknow organizes workshop on knee replacement
 
Medanta, Lucknow organizes workshop on knee replacement

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।मेदांता लखनऊ ने हाल ही में एक स्वास्थ्य वार्ता का आयोजन किया, जिसमें मरीजों को घुटने के प्रत्यारोपण (नी रिप्लेसमेंट) सर्जरी और इसके लाभ के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में जिन्होंने यह सर्जरी कराई थी, उन मरीज़ों ने भी अपने अनुभव साझा किए और अपनी जिंदगी में हुए सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की।

अब घुटने का प्रत्यारोपण भारत में एक सफल उपचार विकल्प बन चुका है। हर साल लगभग 2.5 लाख से अधिक घुटने की सर्जरी की जाती हैं, जो एक दशक पहले की तुलना में काफी अधिक है। इस सर्जरी का प्रमुख कारण यह है कि घुटने के गठिया (ऑस्टियोआर्थराइटिस) से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है। 
मेदांता, लखनऊ के ऑर्थोपीडिक सर्जरी डायरेक्टर, डॉ. सैफ़ एन. शाह ने कहा, “जो मरीज़ इस सर्जरी की ज़रूरत महसूस करते हैं, उनकी संख्या अभी सामने आए आँकड़ों से कहीं अधिक है। यह केवल शुरुआत है।”
हालाँकि, घुटने के प्रत्यारोपण के सफल मामलों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन भारत अभी भी विकसित देशों की तुलना में काफी पीछे है। डॉ. शाह ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़कर प्रति वर्ष 10 लाख तक पहुंच सकती है। उन्होंने बताया कि, "स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, और जोड़ों के स्वास्थ्य और सर्जरी विकल्पों के प्रति बढ़ती जागरूकता जैसे कई कारण इस वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।"
मेदांता, लखनऊ ने घुटने के प्रत्यारोपण में अपनी विशेषज्ञता, दर्द प्रबंधन की बेहतर तकनीक़ों और व्यापक पुनर्वास कार्यक्रमों पर जोर देते हुए विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई। डॉ. शाह ने कहा, “घुटने का प्रत्यारोपण कई लोगों के लिए जीवन बदलने वाला होता है। यह दर्द से पूरी तरह राहत दिलाने और रोज़मर्रा की ज़िंदगी को वापस आने में भी मदद मिलती है।”
कार्यक्रम में सम्मिलित मरीज़ों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे सर्जरी ने उनके पुराने घुटने के दर्द को खत्म कर दिया और उन्हें अपने काम, शौक़, और सक्रिय जीवनशैली में वापस लौटने में मदद की। उन्होंने पुनर्वास के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
स्वास्थ्य वार्ता में विशेषज्ञों ने पोस्ट-ऑपरेटिव पुनर्वास की अहमियत बताई। उन्होंने घर पर देखभाल और व्यायाम के लिए मार्गदर्शन दिया। डॉ. शाह ने कहा, “सफल पुनर्वास और बेहतरीन परिणामों के लिए एक व्यक्तिगत पुनर्वास योजना बेहद जरूरी है।”
कार्यक्रम में प्रश्नोत्तर सत्र भी रखा गया, जिसमें प्रतिभागियों ने डॉक्टरों से अपने सवाल पूछे। इस इंटरऐक्टिव सत्र से घुटने के प्रत्यारोपण सर्जरी पर विचार कर रहे मरीज़ों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
मेदांता लखनऊ की यह पहल मरीजों को जागरूक और सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। 
भारत में घुटने के गठिया की बढ़ती समस्या को देखते हुए, ऐसे कार्यक्रम मरीज़ों को उनके इलाज के विकल्पों के बारे में सही निर्णय लेने और सफलतापूर्वक ठीक होने में मदद करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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