मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में चमत्कार: जटिल वैस्कुलर प्रक्रिया से 55 वर्षीय मरीज़ का पैर कटने से बचा

गंभीर स्थिति: पैर तक रक्त प्रवाह पूरी तरह बाधित
मरीज़ को बाएं पैर में गंभीर दर्द, कमजोरी और कालापन महसूस हो रहा था, और वह पैर को उठाने में असमर्थ थे। आपातकालीन विभाग पहुँचने तक उनका पैर ठंडा और पीला पड़ चुका था, जो गंभीर रूप से बाधित रक्त प्रवाह (एक्यूट लिम्ब इस्किमिया) का स्पष्ट संकेत था।
एंजियोग्राफी सहित अन्य परीक्षणों से पता चला कि उनके बाएं पैर की दो प्रमुख धमनियों—एक कूल्हे के पास और दूसरी घुटने के पीछे—में पूरी तरह से रुकावट थी। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि यदि तत्काल उपचार न किया जाता, तो पैर काटना ही एकमात्र विकल्प बचता।
मिनिमली इनवेसिव तकनीक बनी जीवन रक्षक
मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ, की इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी टीम ने तुरंत कार्रवाई की। टीम—जिसमें डॉ. शाहबाज़ मोहम्मद खान (एसोसिएट डायरेक्टर) और डॉ. स्विस कुमार सिंह (सीनियर कंसल्टेंट) शामिल थे—ने ओपन सर्जरी के बजाय इमरजेंसी मिनिमली इनवेसिव वैस्कुलर सर्जरी (न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया) करने का निर्णय लिया।
डॉ. शाहबाज़ मोहम्मद खान ने इस जटिल मामले पर प्रकाश डालते हुए कहा, "रोगी बंद धमनियों के साथ हमारे पास आए थे। ऐसी स्थिति में देरी होने पर पैर काटना ही एकमात्र विकल्प बचता है। हमने कैथेटर-निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस, स्टेंटिंग और मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी का उपयोग किया, जिससे रुकावट तुरंत हटी और रक्त प्रवाह बहाल हो गया। प्रक्रिया के तुरंत बाद ही मरीज़ फिर से अपना पैर उठा पा रहे थे।
डॉ. स्विस कुमार सिंह ने समय के महत्व को समझाते हुए कहा, "एक्यूट लिम्ब इस्किमिया के मामलों में समय पर इलाज शुरू करना महत्वपूर्ण होता है। 8 घंटे से अधिक की देरी में 80% पैर कटने की संभावना बनी रहती है। मिनिमली इनवेसिव तकनीक को चुनकर, हमने न केवल ओपन सर्जरी की आवश्यकता को टाला, बल्कि रोगी को तेजी से ठीक होने में भी मदद की।
मरीज़ अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और चल-फिर सकते हैं। यह सफल सर्जरी मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ, की विशेषज्ञता और आपातकालीन मामलों में आधुनिक न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग करने की क्षमता का एक उत्कृष्ट प्रमाण है।
