सुपर मून- 17 अक्टूबर, 2024

Press Release: Super Moon – October 17, 2024
Press Release: Super Moon – October 17, 2024
दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को पूर्ण सुपर हंटर मून था और यह सुपर मून वर्ष 2024 का सबसे निकटतम पूर्ण सुपरमून था। दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को इंदिरा गाँधी नक्षनशाला, लखनऊ द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान विभाग में जन सामान्य हेतु सूर्य दर्शन एवं रालि आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पूर्णतयः निःशुल्क था। ज्योतिष की शरद पूर्णिमा खगोल विज्ञान के हिसाब से आज का चंद्रमा सुपर मून कहलाता है। इंदिरा गाँधी नक्षनशाला, लखनऊ द्वारा समय समय पर उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर खगोलीय घटनाओं को जनसामान्य हेतु आयोजित कराया जाता है।


इसी क्रम में आज दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को इंदिरा गाँधी नक्षत्रशाला, लखनऊ द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान विभाग, अभिनव गुप्त भवन में सूर्य दर्शन एवं रानि आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन कराया गया। इस अवसर पर इंदिरा गाँधी नक्षत्रशाला, लखनऊ द्वारा चार टेलिस्कोप स्थापित किये गए। यह कार्यक्रम इंदिरा गाँधी नक्षत्रशाला के उत्तर प्रदेश अमच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब द्वारा सम्पादित कराया गया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश अमच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब की फाउंडर डॉ० अलका मिश्रा, एसोसिएट प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय, और श्री अनिल यादव, भूतपूर्व निदेशक, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश भी उपस्थित थे।

लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रोफेसर सत्यकेतु, प्रोफेसर विपिन पाण्डेय, डॉ अनिल कुमार पोरवाल, डॉ अनुज शुक्ल, डॉ विष्णुकान्त शुक्ल. डॉ प्रवीण बाजपेई, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद्, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ० धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव एवं सचिव, श्री शीलधर सिंह यादव, संयुक्त निदेशक, डॉ० राजेश कुमार गंगवार और विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, श्री पंधारी यादव ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढाई। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित कुमार श्रीवास्तव द्वारा कार्यक्रम का सञ्चालन किया गया तथा कार्यक्रम के प्रतिभागियों को सूर्य एवं चंद्रमा के विषय में रोचक तथ्यों से अवगत कराया। कार्यक्रम में लखनऊ विश्विद्यालय के लगभग 500 विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इसके अतिरिक्त बाहर के बहुत ज्यादा जनसामान्य द्वारा भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर सुपर मून का अवलोकन किया गया।

भारत के विभिन्न क्षेलों से आये हुए विद्वजनों ने टेलीस्कोप द्वारा सूर्य व चंद्र का आकाश दर्शन किया। जिनमे डॉ राजेश्वर मित्र (कुरुक्षेत्र, हरियाणा), प्रो० मनोज मिश्र (गंगानाथ झा शोध संस्थान, प्रयागराज), प्रो प्रयाग नारायण मिश्र (प्रयाग विश्वविद्यालय), डॉ अमलधारी सिंह (काशी), डॉ सुखराम (दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ अम्बरीश मिश्र (बिहार), डॉ ईशा नारायण दिवेदी (फतेहपुर), डॉ नितिन आर्य (सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय), वेदविद्या प्रतिष्ठान उज्जैन से प्रशासनिक अधिकारी, कुंजबिहारी पांडेय एवं आकाश मिश्र तथा डीन, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स, लखनऊ विश्वविद्यालय ने भी टेलीस्कोप द्वारा सूर्य व चंद्र का आकाश दर्शन किया।

इतिहास:

पृथ्वी के सबसे करीब की पूर्णिमा को सुपर मून कहा जाता है, सुपरमून शब्द का सर्वप्रथम खगोलिकी की शब्दावली में इस्तेमाल प्रसिद्ध खगोल शास्त्री सर रिचर्ड नोले ने वर्ष 1979 में किया था। नोले की परिभाषा के अनुसार, सुपेर्मून पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों दिनों पर पद सकती है। पूर्णिमा या अमावस्या तब सुपरमून होती है जब वह पृथ्वी से अपने निकटतमबिंदु यानि पेरिगी के 90% के भीतर होती है। सुपरमून की स्थिति में चन्द्रमा अपने आकार से लगभग 14% बड़ा एवं 30% चमकीला नजर आता है। दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को राति में 11:55 पर चंद्रमा पृथ्वी से सबसे करीब की स्थिति में 351519 किलोमीटर दूर होगा। अपोगी की स्थिति में यह दूरी दिनांक 30 अक्टूबर 2024 को 406161 किलोमीटर हो जाएगी। 2024 में चार पूर्ण सुपरमून थे जिसमे से यह तीसरा सुपरमून है। यह सुपर मून इस वर्ष का सबसे करीब का सुपरमून है।
परिभाषाः

चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ एक अंडाकार (दीर्घवृताकार कक्षा) है। यह पूर्णतयः गोल नहीं है। जिसके फलस्वरूप चंद्रमा प्रत्येक माह एक बार पृथ्वी के सबसे निकट और एक बार पृथ्वी से सबसे दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है तो इस स्थिति को पेरिगी तथा जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है तो इस स्थिति को अपोगी की स्थिति कहते है। खगोलिकी में सुपरमून उस स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट हो और उसी समय पूर्णिमा भी हो। वास्तव में सुपरमून को खगोलिकी में पेरिगी-सिज़ीगी मून कहा जाता है। सिज़ीगी की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में संरेखित हो जाते है। प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या सिजीगी की स्थिति में ही होती है। सुपर मून काफी ज्यादा प्रभावशाली होता है। सुपर की स्थिति में चन्द्रमा सामान्य से ज्यादा बड़ा प्रतीत होता है। चंद्रमा का व्यास लगभग 3475 किलोमीटर है।

पेरिगी की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 351,000 कि.मी. (220,000) मील तक पास हो सकता है, वहीं ऐपोगी के समय की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 410,000 कि.मी. (254,000 मील) तक दूर तक हो सकता है। क्योंकि चन्द्रमा लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है इसलिए वह हर महीने में दो बार इन स्थितियों से गुजरता है। 2024 के चार पूर्ण सुपरमून :

19 अगस्तः 224,917 मील (361,969 किलोमीटर)

18 सितंबरः 222, 131 मील (357,485 किलोमीटर)

17 अक्टूबरः 222,055 मील (351,519 किलोमीटर)

15 नवंबर: 224,853 मील (361,866 किलोमीटर)

Contact

Sumit Kumar Shrivastava

Scientific Officer/ Media Incharge

Council of Science & technology, Uttar Pradesh

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