प्रो. मनुका खन्ना ने कला को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया
 

Prof. Manukha Khanna called upon people to make art a part of their lives
Mr. Robert Gandhi, MD of City International School honouring Pandit Abhishek Mishra.
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।लखनऊ विश्वविद्यालय के 67वें दीक्षांत समारोह का उद्घाटन सत्र मालवीय सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह थीं। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो-वाइस चांसलर प्रो. मनुका खन्ना मुख्य अतिथि थीं।


कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। मुख्य अतिथि प्रो. मांडवी सिंह का स्वागत प्रो. मनुका खन्ना ने किया। प्रो-वीसी प्रो. मनुका खन्ना का स्वागत संस्कृति विभाग की निदेशक प्रो. अंचल श्रीवास्तव ने किया। संस्कृति विभाग के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को एक ऐसे संस्थान से जुड़े होने पर बधाई दी जिसका अतीत गौरवशाली है और वर्तमान और भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कला को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया, न कि एक पेशेवर के रूप में बल्कि कला के पारखी के रूप में। प्रो-वीसी प्रो. मनुका खन्ना ने अपने संबोधन में कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई संदेश दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से कला और संस्कृति के बारे में अपने ज्ञान को विकसित करने, उसका आनंद लेने और उसका आनंद लेने का आह्वान किया।


इसके बाद राहुल चौधरी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। गुलशन पांडे ने संस्कृत भाषा में रचित गीत प्रस्तुत किया।विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों में से एक ख्वान सान ने मायानमार नृत्य की एक झलक प्रस्तुत की कार्तिकेय द्वारा गाए गए एकल गीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।प्रियम यादव द्वारा शास्त्री नृत्य प्रस्तुत किया गया।अदिति सिंह ने गिटार पर हितेश के साथ मिलकर पहाड़ी लोकगीत गाया।विदाई के अवसर पर पारंपरिक रूप से गाए गए अदिति सिंह के भोजपुरी गीत ने श्रोताओं में भावपूर्ण उल्लास की लहर दौड़ा दी।
स्वामी विवेकानंद की वेशभूषा में सच्चिदानंद ने 1893 में इसी दिन शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गए स्वामीजी के भाषण को दोहराया। त्रिसम्मा आर्ट्स के अक्षय अवस्थी द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबले पर सोहम मिश्रा और हारमोनियम पर श्रवण यादव ने संगत की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर मांडवी सिंह ने इन युवा कलाकारों को सम्मानित किया। औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव और राष्ट्रगान के गायन के साथ सत्र का समापन हुआ।
 

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