आरएसएस ने हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव धूमधाम से मनाया 

RSS celebrated Hindu Empire Day with great pomp
RSS celebrated Hindu Empire Day with great pomp
हरदोई(अंबरीष कुमार सक्सेना) श्रीशचन्द्र बारातघर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया. इस अवसर पर उपस्थित स्वयंसेवकों को उद्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला महाविद्यालयीन प्रमुख विनय ने कहा महाराष्ट्र की सह्याद्री पहाड़ियों में आज से 350 वर्ष पूर्व जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन सन 1674 को छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। यह दिन न सिर्फ मराठा साम्राज्य के लिए वरन सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए गौरव दिवस है, क्योंकि एक लम्बे काल खंड के बाद भारतवर्ष में किसी हिन्दू राजा का राज्याभिषेक हुआ था.

शिवाजी में वीरता और राष्ट्रभक्ति के गुण बचपन से ही थे. उनकी माँ जीजाबाई ने उनमे चरित्र और संस्कार का भी पुष्टिकरण किया. जब वे किशोरावस्था में पहुंचे तो उन्होंने भगवान शिव का अपने रक्त से अभिषेक कर, हिन्दू स्वराज्य की स्थापना शपथ ली. शिवाजी से पहले देश के लगभग दो तिहाई हिस्से पर मुगलों का अधिपत्य था. इसका असर ये हुआ हिन्दू समाज अपने पराभव को प्राप्त हुआ और वह स्वयं अपने आप को तुच्छ समझने लगा. 

हिन्दवी राज्य की स्थापना के लिए शिवाजी ने अपनी विशिष्ट छापामार युद्धनीति से कई दुर्गों पर विजय प्राप्त कर ली. ये देख कर बीजापुर के सुलतान आदिल शाह ने अफज़ल खान नाम के सिपहसालार को शिवाजी से संधि करने भेजा. जिसकी मंशा शिवाजी की हत्या करने की थी. पर चतुर शिवाजी ने भांप लिया और बघनखे से दुष्ट अफज़ल खान का वध कर दिया. 
कालांतर में संधि के बहाने औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को बुलाया और छल से उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वे अपनी सूझ बूझ से मिठाई के बक्से में बैठ कर निकल आए और पुनः संघर्ष आरम्भ कर दिया. उनकी प्रेरणा से देश भर के राजा एकजुट होने लगे। उन्होंने किसी भी हिन्दू राजा का राज्य नहीं हडपा बल्कि कई राजाओं को उनका राज्य पुनः प्राप्त करने में सहायता की.   

जब उनके राज्याभिषेक का समय आया तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया. पर जब काशी से आये पुरोहित राधा भट्ट ने उन्हें समझाया तो वे भगवान् शिव के प्रतिनिधि के रूप में शासन करने को तैयार हो गए. उन्होंने अपने जीवन काल में 350 से अधिक किले जीते. पर उनकी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने किसी भी रिश्तेदार को किलेदार नहीं बनाया बल्कि जो सर्वाधिक योग्य था उसे ही किलेदार बनाया. जाहे वो किसी भी जाति पंथ का हो. उन्होंने ऐसे योग्य सैनिको का निर्माण किया जिनमे नेतृत्व, वीरता व कर्तव्य बोध कूट कूट कर भरा था. एक बार एक किले के द्वारपालों ने उन्हें भी किले में प्रवेश नहीं करने दिया था जिसकी उन्होंने भूरि भूरि प्रशंसा की. 

शिवाजी ने भारतीय नौसेना के स्थापक माने जाते हैं जिन्होंने अपने छापामार युद्ध शैली से समुद्र की सीमाओं की रक्षा की.  मुख्या वक्ता ने आगे कहा कि आज हिन्दू साम्राज्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिन्दू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता और सौहार्द के प्रति जागरूक करना है। आज के स्वयंसेवकों को चाहिए कि शिवाजी महाराज के जीवन, उनके गुणों, उनके चरित्र को आत्मसात कर, समाज के लिये अनुकरणीय बनें. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक कृष्णमोहन, विभाग संघचालक शिवस्वरूप, नगर संघचालक मिथिलेश, जिला कार्यवाह संजीव खरे, नगर कार्यवाह विनय पाण्डेय, विभाग सम्पर्क प्रमुख राजेश सिंह चौहान, जिला सम्पर्क प्रमुख के के अवस्थी, जिला प्रचार प्रमुख प्रभाकर गुप्ता सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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