एसबीआई लखनऊ की एक शाखा की सतर्कता ने डिजिटल धोखा-धड़ी से बचा दिये 90 लाख
, इसलिए लूज चेक जारी करके या डेबिट वाउचर का उपयोग करके आरटीजीएस द्वारा रु 10.00 लाख भेजना चाहते है। बातचीत के दौरान, वह लगातार वीडियो कॉल पर थे और तनाव मे दिख रहे थे। संदेह भापते हुए उन्हे शाखा प्रबन्धक के पास ले जाया गया। शाखा प्रबन्धक ने ग्राहक से बातचीत शुरू की और पैसा ट्रान्सफर करने का असली कारण जानने का प्रयास किया किन्तु ग्राहक कोई भी जानकारी नहीं दे रहा था और लगातार वीडियो कॉल पर था। कुछ देर बाद ग्राहक ने पुनः कहा कि वो अब रु 10 लाख नहीं बल्कि रु 40 लाख आरटीजीएस करेंगे।
ग्राहक के संदिग्ध व्यवहार को देखते हुए शाखा प्रबन्धक ने बिना चेक़ के आरटीजीएस कर पाने में असमर्थता जाहिर की और उन्हे चेक़ बुक साथ लेकर आने को कहा। शीघ्र ही शाखा को ग्राहक के बेटे की कॉल आई कि मेरे पिता के सभी खाते फ्रीज़ कर दिये जाएँ क्योंकि उनके पिता को एक धोखेबाज व्यक्ति की कॉल आई थी, जिसने खुद को नई दिल्ली का डीसीपी बताया था। धोखेबाज ने बताया कि उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल अवैध उद्देश्यों के लिए किया गया है और उनसे जांच को घुमाने के लिए अलग-अलग खातों में रु 90 लाख जमा करने को कहा है। इस तरह से शाखा स्टाफ ने अपनी सूझ बूझ, सतर्कता और सक्रिय दृष्टिकोण से ग्राहक को साइबर ठगी का शिकार होने से बचा लिया और डिजिटल धोखा-धड़ी द्वारा 90 लाख रुपये ठगने के प्रयास को विफल कर दिया।