भारतीय क्षत्रिय समाज के तत्वावधान में संपन्न हुआ शस्त्र पूजन 

Weapon worship was completed under the aegis of Indian Kshatriya Society
Weapon worship was completed under the aegis of Indian Kshatriya Society
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय).विजयदशमी के पावन पर्व पर भारतीय क्षत्रिय समाज द्वारा शस्त्र पूजन कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। समागम का स्वागत भारतीय क्षत्रिय समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा० अनिल सिंह गहलोत जी द्वारा किया गया | राष्ट्रीय अध्यक्ष के द्वारा राज्यसभा सांसद मा0 डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व मंत्री मा0 डॉ महेंद्र सिंह ,विधायक सरोजनी नगर मा0 राजेश्वर सिंह, मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी जी , लेटे हुए हनुमान जी मंदिर के मुख्य सेवादास डॉ विवेक तांगड़ी, मंचस्थ अतिथियो का परिचय देते उन पर अपना मत रखा, अध्यक्षीय भाषण  से समागम का प्रारम्भ हुआ  तदुपरांत डाक्टर दिनेश शर्मा जी, डॉ महेंद्र सिंह जी, विधायक राजेश्वर सिंह ने अपनी बात रक्खी | 

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनिल सिंह गहलोत जी ने अपने सम्भाषण में क्षत्रियों को एक रहते हुए अपनी शक्ति को स्थापित कर सनातन के नेतृत्व हेतु आवाहन किया | उन्होंने राम के आदर्श, त्याग, संकल्प व सहिष्णुता तथा महाराणा प्रताप के बलिदान के विषय में बताया | वहीँ डॉ दिनेश शर्मा जी द्वारा शास्त्र और शस्त्र दोनों के महत्त्व पर प्रकाश डाला | डॉ महेंद्र सिंह जी ने क्षत्रिय को राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए आवाहन किया तो वहीँ विधायक श्री राजेश्वर सिंह जी ने क्षत्रिय जाति को लोक रक्षक की भूमिका निभाने की बात कही | कार्यक्रम में धन्यवाद राष्ट्रीय संयोजक श्री छेदी सिंह जी द्वारा प्रेक्षित किया गया |  इस अवसर पर डाक्टर पंकज सिंह भदौरिया को अध्यक्ष पद की घोषणा समागम की अनुमति के साथ की गई, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अगंवस्त्रम उढ़ाकर डॉ पंकज सिंह भदौरिया को मनोनयन पत्र सौपा | 

इस अवसर पर विशाल शाही, सेवानिवृत आई० पी० एस० डॉ आर के एस राठौर, जितेंद्र शाही, माता जी नयन तारा, शिक्षाविद एस के डी सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री एडवोकेट अरविन्द सिंह, संयुक्त सचिव कमल सिंह, प्रदीप सिंह बब्बू सहित हजारो की संख्या में स्त्री-पुरुष उपस्थित थे भारतीय क्षत्रिय समाज के इस शस्त्र पूजन कार्यक्रम को  ठाकुरो के एकजुटता में एक बड़ा कदम माना जा रहा है |  इस कार्यक्रम में आये हुए लोगो में विशेष कर बड़ी संख्या में महिलाओ की उपस्थिति त्योहार के दिन प्रासंगिक रही।

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