सुनीता आहूजा बनाम संजीव द्विवेदी प्रकरण: आदेश हेतु नई तिथि 16 दिसंबर 2025 निर्धारित
4 दिसंबर को आदेश सुरक्षित, टाइपिंग न हो पाने से तिथि बढ़ी
इस मामले में वाद संख्या 6203/2025 के अंतर्गत दिनांक 21 नवंबर 2025 को दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात न्यायालय ने 4 दिसंबर 2025 को आदेश हेतु पत्रावली सुरक्षित कर ली थी।किन्तु न्यायाधीश के ज्यूडिशियल ट्रेनिंग पर चले जाने के कारण आदेश की टाइपिंग समय पर संभव नहीं हो सकी। इसी कारण न्यायालय ने अग्रिम आदेश हेतु तिथि 16 दिसंबर 2025 निर्धारित की है।
मामले की पृष्ठभूमि
हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संजीव द्विवेदी ने बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा के विरुद्ध एक आपराधिक वाद दायर किया है।अधिवक्ता के अनुसार, एक मनोरंजन कार्यक्रम “आबरा का डाबरा” के दौरान सुनीता आहूजा द्वारा कथित रूप से—
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“सभी पंडितों को चोर” कहने,
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तथा “सामने आएं तो भस्म कर दूँ” जैसे कथनों का प्रयोग,
धार्मिक समुदाय का अपमान करता है और वाक् स्वतंत्रता के संवैधानिक दायरे का उल्लंघन है।
अदालत में अधिवक्ता संजीव द्विवेदी की बहस
अधिवक्ता द्विवेदी ने अदालत में व्यापक बहस प्रस्तुत की और कहा कि—
1. वाक् स्वतंत्रता का दुरुपयोग अस्वीकार्य है
उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए कहा किवाक् स्वतंत्रता का उद्देश्य सभ्य अभिव्यक्ति की रक्षा करना है, न कि किसी समुदाय या समूह को अपमानित करने का अधिकार देना।
2. धार्मिक स्वतंत्रता भी समान रूप से संरक्षित
द्विवेदी ने अनुच्छेद 25, 26 एवं 51(क) का उल्लेख करते हुए बताया कि किसी भी धर्म, परंपरा या उनके प्रतिनिधियों का अपमान संविधान की मूल भावना के विपरीत है।
3. भारतीय दर्शन, ग्रंथों एवं नीतियों के उदाहरण
अपने पक्ष को सशक्त करने के लिए उन्होंने—
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भगवद्गीता,
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श्रीरामचरितमानस,
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कबीर वाणी,
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चाणक्य नीति,
के संदर्भ प्रस्तुत किए, जो संतुलित वाक् स्वतंत्रता, नैतिकता और सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को स्पष्ट करते हैं।
4. अदालत के समक्ष कानूनी मांग
द्विवेदी ने अदालत से अनुरोध किया कि—
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स
(Meta-Facebook, Google, YouTube)पर उपलब्ध संबंधित वीडियो को हटाया जाए,
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संबंधित चैनल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाए,
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और विपक्षी सुनीता आहूजा के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए दंड निर्धारित किया जाए।
अधिवक्ता संजी
