ऐसे भी हो सकता है ग्रीष्मकालीन अवकाश में शिक्षण:चन्द्रलेखा शुक्ला
मैडम शुक्ला की परियोजना कुछ साल पहले शुरू हुई जब उन्होंने देखा कि स्थानीय लड़कियों का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी में कुशलता हासिल करने में संघर्ष कर रहा है। यह समझते हुए कि अंग्रेजी व्याकरण में महारत हासिल करना शैक्षिक सफलता और बेहतर करियर अवसरों के लिए आवश्यक है, उन्होंने कार्य करने का निर्णय लिया। हर गर्मी में, वह अपने विशाल, पुस्तकों से भरे घर को एक जीवंत कक्षा में बदल देती हैं। बैठक कक्ष एक शिक्षण केंद्र बन जाता है, जिसमें श्वेतपट, व्याकरण की किताबें, और सीखने के लिए उत्सुक छात्राएं होती हैं। इस वर्ष अधिक गर्मी को देखते हुए उन्होंने कक्षा ऑनलाइन मोड में चलाने का निश्चय किया l
ये लड़कियाँ, जिनकी उम्र 10 से 16 साल के बीच होती है, विभिन्न पृष्ठभूमि से आती हैं। उनमें से कई परिवारों से हैं जहाँ अंग्रेजी पहली भाषा नहीं है, जिससे मैडम शुक्ला की कक्षाएं एक अमूल्य संसाधन बन जाती हैं। वह एक संरचित लेकिन आकर्षक पाठ्यक्रम का पालन करती हैं, वाक्य संरचना की मूल बातों से शुरू होकर क्रमशः काल, विराम चिह्न, और वाक्यविन्यास जैसे व्याकरण के अधिक जटिल पहलुओं की ओर बढ़ती हैं। उनका शिक्षण पद्धति पारंपरिक शिक्षण और इंटरैक्टिव गतिविधियों का मिश्रण है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लड़कियाँ न केवल नियमों को समझें बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना भी सीखें।
मैडम शुक्ला अपने पाठों को दिलचस्प बनाए रखने के लिए विभिन्न शिक्षण उपकरणों का उपयोग करती हैं। वह कहानी कहने, भूमिका निभाने, और समूह चर्चा का उपयोग करती हैं।
डॉ0दिनेश कुमार विज्ञान प्रगति अधिकारी लखनऊ मण्डल ने कहा कि मैडम चन्द्र लेखा शुक्ला जो कि स्वयं एक सेनिवृत्त शिक्षिका हैं उन्होंने अपने शिक्षण विषय अंग्रेजी के लिए इण्टरमीडिएट की कुछ ऐसी छात्राओं को स्वेच्छा से ही निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षण देकर सेवारत शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए एक बड़ा सन्देश दिया है, जो स्वयं गूगल मीट प्लेटफॉर्म का उपयोग कर यू पी बोर्ड इण्टर अंग्रेजी विषय के ग्रामर (व्याकरण) की तैयारी करवाती हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्र की बहुत सी छात्राएं उनसे जुड़कर अपनी तैयारी कर रही हैं,ऐसी शिक्षक हमारे समाज की शान हैं।