जो लोग गाय की सेवा करते हैं,वह निरोगी रहते हैं

Those who serve cows remain healthy
Those who serve cows remain healthy
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।कर्मयोग जान कल्याण समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा  का आज पाचवां दिन,कर्मयोग जनकल्याण समिति   सेक्टर बी0 प्रियदर्शिनी कालोनी सीतापुर रोड लखनऊ द्वारा कालोनी स्थित भागवत  में  श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है।


आज कथा के पांचवे दिन आचार्य श्री संतोष भाई जी ने बताया कि  जीव की बुद्धि में जब ब्रह्म का आगमन हो जाता है तो माया के बंधन खुल जाते है।मां यशोदा को वात्सल्य की मूर्ति बताते हुए कहा कि जिनके हृदय में किसी के प्रति द्वेष नहीं होता वह कौशल्या के स्वरूप को पा जाते हैं और जिनकी इंद्रियां उनके नियंत्रण में होती हैं वह दशरथ जैसे बन जाते हैं। भगवान राम अवध में प्रगट हुए अवध का अर्थ जहां पर हिंसा नहीं होती जो लोग अकारण दूसरों को दुख नहीं देते उनके हृदय अवध बन जाते हैं। श्रीमद्भागवत कथा में भगवान के नंद उत्सव की महिमा को आध्यात्मिक पक्ष से समझाया ।

उसके पश्चात महाराज जी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म तथा उनकी बाल लीला का वर्णन किया। जब ब्रम्ह जीव की बुद्धि में आता है दो जीव माया से मुक्त हो जाता है।गोकुल भक्ति करने का स्थान है यमुना भक्ति का स्वरूप है जिन व्यक्तियों का विवेक जाग्रत नहीं होता जगत की माया में और ठगे जाते हैं  पूतना नाम की राक्षसी को महाराज जी ने अविद्या बताया भगवान श्री कृष्ण ने  मक्खन चोरी की लीला करके सब जीवो के मन को मक्खन जैसा बना दिया। भगवान जीवो के पापों का हरण करते हैं । भगवान शिव वैष्णवों के आचार्य हैं गोपी बन कर भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए आए ।

भगवान ने बचपन की अवस्था में शकटासुर तृणावत आदि राक्षसों को संघार कर दिया तणावत को वायु विकार बताया और सकटा सुर को गृहस्थ गृहस्थाश्रम में भोग बताया। गोकुल में भगवान 11 साल 52 दिन नँगे पाँव गोसेवा की भगवान ने गायों की सेवा की और गायों में 33 कोटि देवताओं का निवास बताया जो लोग गाय की सेवा करते हैं वह निरोगी रहते हैं उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन से ब्रज मंडल के सभी प्राणी मोहित हो गए थे। विषयो को  विष के समान  समझना चाहिए विषय को भोगना नहीं अपितु भगवान के चरणों में मोड देना चाहिए कालिया नाग को महाराज जी ने विषयो का प्रतीक बताया बांसुरी भीतर से खाली है भगवान इसीलिए हर पल उसे साथ रखते हैं जो जीव भीतर से खाली हो जाएगा भगवान की कृपा उस पर होगी।


गोपिया जब जमुना जल में स्नान करने के लिए गई तो भगवान ने उनका चीरहरण कर लिया चीरहरण वासना का हरण है शरीर वस्त्र रूपी पहनावा है जिसमें आत्मा निवास करती है भगवान श्री कृष्ण ने 7 वर्ष की अवस्था में भक्तों के कष्टों के निवारण के लिए गोवर्धन पहाड़ को अपनी कनिष्ठिका पर धारण कर लिया |  महाराज जी ने भक्तों को गोवर्धन पूजा का महत्व बताया।उन्होंने गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण द्वारा उठाने की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब इंद्र देवता को अभिमान हो गया था तो उन्होंने ब्रजवासियों द्वारा अपनी पूजा करने से नाराज होकर पूरे ब्रज भूमि को बारिश से डुबाने की कोशिश की। भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली से पूरे पर्वत को उठाकर सभी ब्रज वासियों की जान बचाई। गोवर्धन का अर्थ बताते हुए महाराज जी ने कहा कि जब भगवान अपने भक्तों को दुखी देखते हैं तो उनके जीवन के कष्ट हरण करने के लिए स्वयं उनका भार अपने ऊपर ले लेते हैं गोवर्धन लीला का सजीव चित्रण किया गया मनमोहक झांकी बनाई गई एवं बहुत सारे भक्तों के द्वारा भगवान का 56 प्रकार का भोग लगाया गया भगवान को भोग रखकर के बड़ा सुंदर भजन संगीतकारों के द्वारा गाया गया श्याम रसिया मेरो मन बसिया रूचि रूचि भोग लगाओ रसिया इस भजन को सूरज जी एवं उनकी संगत ने बड़ी ही धुन से गाया जिसपर भक्तगण भाव विभोर होकर नृत्य भी किया,

आज कथा में बहुत भारी संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए।इस अवसर पर मुख्य रूप धर्म देव सिंह,श्याम सुंदर शर्मा ,राम कुमार सिंह,नंदलाल गुप्ता,निर्देश दीक्षित,सिंह वीर सिंह,अजीत सोनी,जितेन्द्र सिंह,इंद्र प्रकाश सिंह,संजय सिंह ,उमा प्रसाद पांडे, सुशील मोहन शर्मा ,गणेश अग्रवाल,   घन श्याम त्रीपाठी,तनय सोनी,अथर्व राज मिश्रा(रिशु),अनुज सिंह,राहुल सिंह,हरिनाम वर्मा,सुधा पाठक ,रेखा श्रीवास्तव,निर्मला वर्मा,ऋचा सचान,साधना सचान आदि बहुत बड़ी संख्या में  भक्तोंने कथा का श्रवण किया ।सनातन की रक्षा के लिए मिशन चला रहे हैं,रामानंद फाउंडेशन के राम आनंदजी महाराज जी आए हैं।

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