Tina Dabi Posted in Which District : बाड़मेर के जातिवाद से कैसे निपटेगी टीना
जैसा कि आपने अगर अभी हाल ही में रिलीज़ हुई जॉन अब्राहम स्टारर फिल्म वेदा देखी होगी तो आपको पता चल जाएगा कि हमारे देश में जातिवाद कितनी बुरी तरह फैला हुआ है. वेदा एक रियल इंसीडेंट पर बेस्ड फिल्म है जिसे देखने के बाद ये ज़ाहिर होता है कि जातिवाद आज भी समाज की कड़वी सच्चाई है. देश आजादी की 78वीं सालगिरह मना रहा है. ऐसे में एक सवाल अगर ईमानदारी से पूछा जाए कि क्या इतने सालों में देश से जातिवाद जड़ से खत्म हो गया क्या? तो इसका जवाब यकीनन ना ही होगा.
फिल्म की कहानी राजस्थान के बाड़मेर की रहने वाली दलित परिवार की लड़की वेदा बरवा की है, जिसका किरदार शरवरी वाघ ने निभाया है. वेदा का सपना बॉक्सर बनने का है. वेदा ने कॉलेज में बॉक्सिंग सीखनी शुरू की. जहां एंट्री होती है अभिमन्यु यानी जॉन अब्राहम की. कहानी में विलन का किरदार प्रधान जितेंद्र सिंह यानी अभिषेक बनर्जी का है. जितेंद्र ऊंची जाति का आदमी है. जाति के दंभ में वो कुछ ऐसा करता है कि वेदा और अभिमन्यु का दुश्मन बन जाता है. फिर दोनों प्रधान से लड़ते हैं. इस दौरान वेदा अपने लिए न्याय की परिभाषा कैसे बुनती है, यही फिल्म की कहानी है.
अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको वेदा की कहानी क्यों बता रहे हैं. तो हम आपको ये बता दें कि राजस्थान के बाड़मेर जिले की जो जातिगत कहानी इस फिल्म में दिखाई गई है, यहां एक नई कलेक्टर साहिबा की पोस्टिंग हुई है. और उनका नाम है टीना डाबी अब टीना डाबी को बाड़मेर का कलेक्टर बनाने में क्या खास है, ज़रा इसे समझ लीजिए.
राजस्थान की सबसे चर्चित आईएएस टीना डाबी को राज्य सरकार ने एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी है. 5 सितंबर की देर रात को जारी ट्रांसफर लिस्ट में आईएएस टीना डाबी को राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर का जिला कलेक्टर बनाया गया है. इससे पहले वे सरहदी जिले जैसलमेर की जिला कलेक्टर जुलाई 2002 से जुलाई 2023 रह चुकी हैं. जैसलमेर राजस्थान का सबसे बड़ा और देश का तीसरा सबसे बड़ा जिला है.
आप जानते ही होंगे कि टीना डाबी को लोग अक्सर टारगेट करते हैं क्योंकि वो दलित हैं और आरक्षण के फायदे से IAS बनी हैं... दरअसल, तब टीना डाबी यूपीएससी एग्जाम के पहले फेज में रिजर्वेशन के कटऑफ के तहत पास हुई थीं. वो SC/ST कैटेगरी के कम कटऑफ मार्क्स की वजह से मेंस एग्जाम दे पाई थीं. जबकी उनसे ज्यादा नंबर लाकर भी जनरल कैटेगरी के कई कैंडिडेट्स मेंस के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके थे
फाइनल रिजल्ट में वो ओवरऑल टॉपर रही थीं. जिसमें पहले फेज़ के मार्क्स नहीं जुड़े थे... फिर भी रिजर्वेशन के पैमाने को लेकर तब खूब बहस हुई थी. क्योंकि टीना एससी कैटेगरी से होने के बावजूद आर्थिक तौर से मजबूत परिवार से आती हैं... खैर, बाद में उन्होंने एक मुस्लिम से प्यार किया और शादी भी की. इस दौरान उन्हें जाति ही नहीं, धर्म के बंधन को भी तोड़ते हुए देखा गया... और ऐसे में अब बाड़मेर जैसे ज़िले का, जहां जातिवाद की जड़े काफी दूर तक फैली हुई हैं, वहां का उन्हें कलेक्टर बनाना वाकई एक बड़ा संदेश है. ये सामाजिक तौर पर बेहतर भी है