मृदंग की धुन पर रसमय हुआ तुलसी उद्यान

दर्शक अभी संभल पाते की मृदंग से "सीताराम सीताराम" "जय श्री राम" "जय जय अयोध्या" जैसे बोलो को बजाया तो दर्शक भी बोलो के साथ साथ खुद भी गाने लगे। सम्मोहित कर देने वाली इस प्रस्तुति में ध्वनि और प्रकाश का संयोजन अदभुत वातावरण बना रहा था। लोग मंत्रमुग्ध होकर कलाकारो की प्रस्तुति को देख रहे थे। सहायक श्रीखोल वादक के रूप में रंजीता हालदर ने अपनी चपलता,कुशलता और डूबकर मुस्कुराते नृत्य करते हुए "श्रीखोल" का वादन कर सभी को प्रभावित किया।पार्श्व में सह कलाकारगण मृदंग वादन के साथ एक साथ नृत्य कर रहे थे तो भक्तिभाव में डूबे मुख्य कलाकार ऐसा प्रतीत हो रहा था |
कि सिर्फ परमात्मा के लिए गा रहे है और श्रद्धालु इसी भाव से उनके साथ जुड़कर मंच के सामने नृत्य कर रहे थे। इसके बाद प्रियंका हलदार ने माइक संभाला और "बच्चा बच्चा जय श्री राम बोलेगा" "मेरी झोपडी के भाग जाग जायेंगे राम आयेंगे" "सजा दो घर को गुलशन सा" जैसे भजनों को जब गाया तो सभी सह श्रीखोल वादकगण, प्रो हरिकृष्ण के साथ मंच से उतरकर नीचे दर्शकों के मध्य आकर नृत्य करने लगे।तालियों की ताल और रामनाम की गूंज के मध्य, चैतन्य महाप्रभु की भजन- नृत्य परंपरा के साथ,रामजी की सेवा यूं लग रही थी मानो त्रेता ने द्वापर को गले लगा लिया हो। की बोर्ड पर पार्वती हलदार संगत दे रही थी ।महिला कलाकारों के वादन ने पांडाल में एक अनूठा दृश्य उपस्थित कर दिया |
जिसमे बरस रहे रामरस में सभी भीगते रहे। इसके पूर्व प्रयागराज से आई आश्रय द्विवेदी और गोरखपुर से आए राकेश श्रीवास्तव ने भी अपने भजनों से श्रोताओं को झूमने पर बाध्य कर दिया।अरूणांचल प्रदेश के पोनूग,राजस्थान के अटेंगी नृत्य और जम्मू के गदीयाली नृत्य भी लोक देर रात तक थिरकते रहे। इस अवसर पर लोक एवम जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी,उत्तर मध्य क्षेत्र के कार्यक्रम अधिकारी अजय गुप्ता,पुण्य प्रकाश,मनप्रीत सिंह,शिवेंद्र समेत विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु, संतजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम का रसमय संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने किया।