यूपी बनेगा भारत का डीप टेक हब, IIT कानपुर ले रहा है जिम्मेदारी

लखनऊ, सितंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश को डीप टेक (Deep Tech) का हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। सीएम योगी का स्पष्ट मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत को तकनीकी महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में यूपी की अहम भूमिका होगी। इसी विज़न को साकार करने के लिए आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने कमान संभाली है।
सरकार और संस्थान के संयुक्त प्रयासों से यूपी न केवल स्टार्टअप इकोसिस्टम में अग्रणी बनेगा, बल्कि पूरे देश का इनोवेशन इंजन साबित होगा।
सीएम योगी की पहल
आईआईटी कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि भारत का पहला "डीप टेक भारत 2025" उत्तर प्रदेश से आकार लेगा। इसके लिए एक भव्य शिखर सम्मेलन (Summit) आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर के वैज्ञानिक, स्टार्टअप फाउंडर्स और रिसर्चर्स मिलकर रोडमैप तैयार करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि गौतमबुद्ध नगर में डीप टेक हब के लिए भूमि आवंटित कर दी गई है। इसे डीआरडीओ, इसरो और अन्य शीर्ष संस्थाओं के सहयोग से विकसित किया जाएगा।
IIT कानपुर में गहन अनुसंधान और स्टार्टअप इनक्यूबेशन
आईआईटी कानपुर इस महत्वाकांक्षी मिशन की अगुवाई कर रहा है। यहां पहले से ही सैकड़ों स्टार्टअप इनक्यूबेट हो रहे हैं और नई वैज्ञानिक खोजों पर काम चल रहा है।
एक हालिया सर्वे के मुताबिक, संस्थान के 410 पूर्व छात्रों (Alumni) में से:
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75% (307) स्टार्टअप्स या छात्रों को मेंटोरिंग देने को तैयार हैं।
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63% (257) इंडस्ट्री कंसल्टेशन में सहयोग करेंगे।
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46% (189) पार्टनरशिप और कोलैबोरेशन को बढ़ावा देंगे।
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21% (87) नई इंडस्ट्री को यूपी लाने में मदद करेंगे।
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15% (63) फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट देंगे।
यह स्पष्ट है कि आईआईटी कानपुर के अलुमनाई नेटवर्क की ताकत इस विज़न को रफ्तार देगी।
यूपी का स्टार्टअप इकोसिस्टम: रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई दिशा
सरकार ने 250 से अधिक डीप टेक स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करने का लक्ष्य तय किया है। इन स्टार्टअप्स का अनुमानित वैल्यूएशन 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा। साथ ही, इनसे आने वाले वर्षों में 10,000 से अधिक डायरेक्ट रोजगार सृजित होने की संभावना है।
यह पहल न केवल युवाओं को प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराएगी, बल्कि स्थानीय टैलेंट को बाहर जाने से भी रोकेगी। रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स अब सिर्फ लैब तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें मार्केट-रेडी प्रोडक्ट्स में बदला जाएगा।
