ग्राम स्वराज्य यात्रा का प्रसाद गांव को परिवार बन जाना चाहिए: रमेश  भइया       

The Prasad of Gram Swarajya Yatra is that the village should become a family: Ramesh Bhaiya
The Prasad of Gram Swarajya Yatra is that the village should become a family: Ramesh Bhaiya
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य पदयात्रा के दौरान रमेश भइया सूत्रधार विनोबा विचार प्रवाह  बाबा विनोबा का संदेश गांव गांव पहुंचाते हुए कहते थे कि गांव _गांव के गरीबों को,अमीरों की,भूमिहीन और भूमिवालों  का एक परिवार बन जाना चाहिए।

गांव की कुल सेवा हम सबको करनी है,इसका भान हम सभी को होना चाहिए।आज तो परिवार की सेवा करते  है,और गांव की तरफ देखते ही नहीं।परंतु जब गांव की तरफ ध्यान नहीं देते हैं , तो कुटुम्ब  की भी सच्ची सेवा नहीं होती।इस तरह गांव की परवाह किए बिना जो घर की सेवा करते हैं,वे सचमुच ही घर की भी सेवा नहीं करते।इसलिए अपने घर को गांव का एक हिस्सा समझ करके गांव की सेवा का काम करना चाहिए।

यह हांथ अपने शरीर का एक हिस्सा है। उस हांथ से जो कमाते हैं,वह सारे शरीर को खिलाते हैं,तो सारे शरीर को पोषण मिलता है। अगर हांथ इतनी अक्ल नहीं रखेगा, तो शरीर को खाना नहीं मिलेगा। लेकिन हांथ जानता है कि यह मेरी कमाई नहीं है। मैं तो शरीर का एक हिस्सा हूं, इसलिए कमाई सारे शरीर को दे दूंगा तो शरीर  मजबूत बनेगा।अगर हांथ को शरीर से अलग किया जाए, काटा जाए,तो वह कोई काम नहीं कर सकेगा।शरीर का एक हिस्सा होने के कारण उसमें शक्ति है।इसलिए हांथ का काम है कि वह शरीर की सेवा करे और उसी से उसका पोषण हो जाता है।  

इस तरह हमको पहचानना चाहिए कि हम अपने गांव का एक हिस्सा है, तो गांव में जो दुःखी,दरिद्री,और पीड़ित है, उनकी सेवा करके ही हमको खाना चाहिए।भूमिहीनों को भी समझना चाहिए कि हम अपने गांव का एक हिस्सा है, इसलिए गांव की सेवा अत्यंत प्रामाणिकता से करें, काम में चोरी न करें। आज तो मजदूर और मालिक दोनों ग्रामसेवा का विचार समझे नहीं है ।हर कोई अमीर और मालिक बनना चाहता है इस तरह हमारे चित्त में मत्सर_ ही_ मत्सर होता है।तो इसका परिणाम यह है कि आज गांव के लोग सुखी नहीं हैं।यह लोगों को समझाना हमारा काम है।अगर लोग इतना समझ जाए,तो उनकी खूब ताकत बढ़ेगी।

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