हम अपने सचेत निर्णय के प्रति उत्तरदायी होते हैं:शोध छात्रा रूपा सिंह राजपूत
उनके द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान का विषय "Problem of Free will and Determinism" था। उन्होंने अपने व्याख्यान का प्रारंभ स्वतंत्र इच्छा एवं नियतिवाद से जुड़े एक प्रश्न के साथ किया। उन्होनें अपने पेपर में इच्छा स्वातंत्र्य और नियतिवाद के सिद्धांत पर प्रकाश डाला। उन्होंने इच्छा स्वातंत्र्य के तीन मापदंड, कर्म करने की क्षमता, ज्ञान और उद्देश्य और विकल्पों की उपस्थिति की चर्चा की।
साथ ही यह भी बताया कि हम अपने सचेत निर्णय के प्रति उत्तरदायी होते हैं। अपने संपूर्ण व्याखान में इच्छा स्वातंत्र्य एवं नियतिवाद से जुड़े हुए नावेल स्मिथ और स्पिनोजा के विचारों को को भी व्यक्त किया। उनके व्याख्यान के विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने उनके व्याख्यान को संछिप्त करते हुए अपनी टिप्पणियों को व्यक्त किया।
सेमिनार में दर्शनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ० रजनी श्रीवास्तव के साथ- साथ विभाग के प्राचार्य प्रो. राकेश चंद्रा एवं डॉक्टर राजेंद्र वर्मा उपस्थित रहे। सेमिनार में विभाग के शोध-छात्रों के साथ स्नातक एवं परास्नातक के साथ उपस्थित रहे। सेमिनार के कोऑर्डिनेटर विभाग की शोध छात्रा प्रिया गुप्ता एवं छात्र अनुपम कुमार रहे। सेमिनार के सफलता पूर्वक समापन में विभाग के अन्य शोध छात्रों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।