हम अपने परिवार के साथ गुणवत्तापरक समय अवश्य व्यतीत करें

We must spend quality time with our family
We must spend quality time with our family
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ ( आर एल पाण्डेय ). "प्रिज्म : दुराचार की घटनाओं की रोकथाम और प्रतिक्रिया"  इस महत्वपूर्ण विषय पर आज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एक अत्यंत जानकारी पूर्ण एक दिवसीय कार्यशाला आकर्षक शैली में संपन्न हुई।

आपकी की चुप्पी गलत कृत को बढ़ावा देती है " यह सार्थक वाक्य था एडवोकेट आलिमा जैदी जी का ,सदस्य,आली फाउंडेशन । ये ज्ञानदायी कार्यशाला संस्थान के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग एवम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक कोऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट,मिनिस्ट्री आफ एंड चाइल्ड डेवलपमेंट,गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, रीजनल सेंटर, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुई।  कार्यशाला का उद्घाटन प्रो० सी०एम०सिंह, निदेशक,लोहिया संस्थान के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।

इस दौरान, डा०रिचा चौधरी,  विभागाध्यक्ष, डॉ० समरेंद्र नारायण, डॉ०अर्पित सिंह, डॉ मुकेश मौर्य, एमबीबीएस छात्र एवं अन्य कार्मिक उपस्थित थे।प्रो०सी०एम०सिंह ने अपनी संबोधन में सर्वप्रथम फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग को इस संवेदनशील विषय पर जागरूकता कार्यशाला आयोजित करने हेतु बधाई दी और साथ ही कहा  कि  यौन उत्पीड़न किसी भी महिला के साथ कहीं भी हो सकता है चाहे वह उसका कार्य स्थल ही क्यों ना हो। जानकारी के अभाव में कई महिलाएं मानसिक प्रताड़ना झेलती हैं।  इसलिए जरूरी है की  उन्हें कार्यस्थल पर हुई किसी भी प्रकार की प्रताड़ना से निपटने के लिए अपने अधिकारों की जानकारी की होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी नियोक्ता की होती है। जिस हेतु इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी यानी आंतरिक शिकायत समिति लोहिया संस्थान में गठित है। 

डा०मुकेश मौर्या,नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक कॉरपोरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट से आए ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यौन दुराचार हमारे समुदाय के ताने बाने को कमजोर करता है। आज की यह कार्यशाला "प्रिज्म" कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिक्षा, सहायता और जवाब दे ही पर ध्यान देने के साथ यौन दुराचार से निपटने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण प्रदान करेगा। कार्यशाला प्रतिभागियों को  दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए आवश्यक उपकरणों और संसाधनों की जानकारी से भी लैस करेगा। 

फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग किविभागाध्यक्ष प्रो० रिचा चौधरी  ने "राइट्स एंड रिस्पांसिबिलिटीज इन एन एलेज्ड इंसिडेंट ऑफ़ सेक्सुअल मिसकंडक्ट " को प्रस्तुतिकरण के माध्यम से समझाया। उन्होंने बताया कि यौन दुराचार तीन प्रकार की श्रेणी के होते हैं प्रथम श्रेणी यौन उत्पीड़न है जिसमें कार्यस्थल का यौन दुराचार, दुर्व्यवहार जैसे कि घूरना, अवांछित कृत इत्यादि आते हैं। दूसरा प्रकार है यौन प्रताड़ना जो की एक प्रकार की शारीरिक  जबरदस्ती होती है, तीसरा प्रकार है यौन शोषण, यह शब्द ज्यादातर बच्चों के यौन शोषण हेतु इस्तेमाल होता है। 

उन्होंने बताया कि भारत में कार्यस्थल पर लगभग 63% महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न होता है परंतु अधिकारों की जानकारी के अभाव या डर के कारण वह या बात किसी को बताती नहीं है। यह डर कार्यस्थल पर अपने करियर विकास न हो पाने  का हो सकता है, सहकर्मियों का आपके प्रति नजरिये को लेकर  हो सकता है प्रतिशोध को लेकर हो सकता है और  मार्गदर्शन का अभाव, इत्यादि को लेकर भी हो सकता है। इस प्रकार की घटनाओं 
की समाधान में "बाय स्टैंडर्ड प्रतिक्रिया" की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसमें 4Ds " डॉक्यूमेंट, डेलीगेटेड हेल्पलाइन,डिस्ट्रेक्ट तो डिसक्लेट,डायरेक्ट इंटरवेंशन के तहत पीड़ित को सहायता प्रदान की जाती है। डॉ रिचा ने  ड्रग्स फैसिलिटेटर सेक्सुअल एसॉल्ट पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। 

आली फाउंडेशन से एडवोकेट आलिमा जैदी, ने विस्तारपूर्वक " सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ़ वीमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013" के बारे में बताया। उन्होंने महिलाओं के विधिक अधिकारों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
कार्यशाला की मुख्य वक्ता 

श्रीमति रवीना त्यागी,आईपीएस, डीसीपी,लखनऊ ने अपने वक्तव्य में स्वयं के कार्य क्षेत्र के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यौन शोषण एवं दुराचार की घटनाओं पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को इसके बारे में समझाया कि वह कैसे इसका सामना करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया के माध्यम से भी बच्चे भटक जाते हैं अतः उन्होंने आग्रह किया कि यदि वह इस प्रकार की किसी घटना का शिकार होते हैं तो इसके बारे में तुरंत अपने माता-पिता से बात करें। उन्होंने कहा की आजकल की जीवन शैली के दृष्टिगत यह अतिमहत्वपूर्ण हो गया है कि हम अपने परिवार के साथ गुणवत्तापरक समय अवश्य व्यतीत करें। कार्यशाला के अंत में एमबीबीएस छात्रों द्वारा रोल प्ले के माध्यम से कार्यस्थल के यौन दुराचार को समझाया गया साथ ही इसका कैसे सामना किया जाए के बारे में भी दर्शाया गया। कार्यशाला के दौरान पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

Share this story