वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ में बिखरे शूल न हो
सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण पुष्पार्चन कर किया गया तत्पश्चात आगंतुक समस्त अतिथियों का परिचय देवेंद्र पाल सिंह प्रधानाध्यापक पाली हरदोई द्वारा किया गया। विद्या भारती के खेलो की प्रस्तवना प्रदेश निरीक्षक मिथलेश कुमार अवस्थी जी ने रखी। कीड़ा प्रतियोगिता का शुभारंभ विभिन्न जनपदों से आए हुए विभिन्न प्रतिभागियों छात्र-छात्राओं द्वारा ट्रैक पर पथ संचलन के साथ किया गया जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि जयप्रकाश रावत जी द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया तत्पश्चात 50 मी दौड़ के सभी प्रतिभागी ट्रैक पर उपस्थित हुए और प्रतियोगिता का प्रारंभ किया
गया जिसमें अमित कुमार सरस्वती शिशु मंदिर बहराइच ने प्रथम सचिन सरस्वती शिशु मंदिर लखीमपुर ने द्वितीय व शनि सरस्वती शिशु मंदिर रायबरेली ने तृतीय स्थान प्राप्त किया तत्पश्चात 100 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में लक्ष्मी सरस्वती शिशु मंदिर लखीमपुर, अदिति सिंह सरस्वती शिशु मंदिर अयोध्या ने द्वितीय ,रेखा वर्मा सरस्वती शिशु मंदिर बहराइच ने तृतीय स्थान प्राप्त किया सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पिहानी की छात्राएं छात्राओं ने मनमोहन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। पाली बिलग्राम व कछौना की छात्राओं ने देश रंगीला रंगीला पर मनमोहन नृत्य प्रस्तुत किया कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रेमवती वर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि खेल के द्वारा शारीरिक विकास होता है
इसमें सभी अध्यनरत छात्र/छात्राओं को प्रतिभाग करना चाहिए खेल से हमारी सहयोग की भावना विकसित होती है एवं प्रेम सोहार्द तथा देशभक्त की भावना भी प्रकट होती है विशिष्ट अतिथि मानवेंद्र प्रताप सिंह रानू ने अपने संबोधन में कहा कि छात्र देश का भविष्य है अत:शिक्षा के साथ नैतिकता सदाचार एवं पवित्रता का ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए
जो कि कॉन्वेंट स्कूलों में नहीं मिल सकता या सदाचार नैतिकता की शिक्षा गुरुकुल पद्धति पर आधारित सरस्वती शिशु मंदिर में ही मिल सकती है हम पाश्चात्य संस्कृति को सिरमौर बना रहे हैं और अपनी नैतिकता से दूर होते जा रहे हैं हम कर्तव्य को भूल रहे हैं और देश के विकास की बात कर रहे हैं खेल व सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं हमारे जीवन का वह हिस्सा है जिसमें सभी को प्रतिभाग करना चाहिए प्रतिभागियों को कुछ कठिनाई आती हैं लेकिन इनको धैर्यपूर्वक सहनकर जीत निश्चित करनी चाहिए "वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ में बिखरे शूल न हो नाविक की धैर्य परीक्षा का क्या जो धाराएं प्रतिकूल न हो" इस के साथ उन्होंने सभी प्रतिभागियों को जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति का आशीर्वाद दिया।